________________
सुधारका मूलमन्त्र
पाठक जन क्या आपने कभी विचार किया है कि, एक मनुष्य जो अभी दूसरेके प्राण लेनेके लिये तय्यार था, शान्त क्यो होगया ? एक बालक रोते रोते हँसते क्यो लगा ? एक आदमी जो अभी हँसीखुशीकी बाते कर रहा था, शोकमे मग्न यो हो गया ? सभाके सब मनुष्य बैठे बिठाए एकदम खिल-खिलाकर क्यो हँस पडे २ कल जो कायर और डरपोक बने हुए थे, वे आज धीर क्योंकर बन गये २ मूर्खता और असभ्यताकी मूर्तियों विज्ञान और सभ्यताकी मूर्तियोमे कैसे परिणत हो गई? जिस कार्यसे कल हमे घृणा थी,आज उसीको हम प्रेमके साथ क्यों कर रहे हैं । आनन्द और सुखके देनेवाले पदार्थ भी कैसे किसीको दु.खदायक और अचिकर हो जाते हैं २
आपसमे वेर-विरोध क्योंकर पैदा होता और बढ़ जाता है २ एक अच्छे कुलका भला आदमी चोर और डकैत कैसे बन जाता है २ किस प्रकार एक असदाचारी सदाचारी और सदाचारी असदाकाल हो जाता है ? 'कले जी भंगी वो चमार या कहें आज ईसाई बनकर या फौजमै भर्ती होकर ब्राहौल और क्षत्रियो-जैसी बाते क्यो करने लगता है । एक मनुष्य जिसे अपने प्राणीका बहुत मौह का, सहर्ष प्रारण देने के लिये क्योंकार तयार हो जाता है कोम हमारी शान्तर को भंग कर देता हैं ? कौन हमारे हदयों में प्रेम तथा मयाका संचार