Book Title: Vandan Pratikramanavchuri
Author(s): Kanchanvijay, Kshemankarsagar
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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शुद्धिपत्रकम्
पत्राङ्क:
अशुद्धं
पत्राङ्कः
पतिः
मयो
प्रथितः प्रणेतणां
कथा: कदि कारथि अव० कविक०
शुद्धं मया प्रथिता प्रणेतृणां न कथाः , दिक कारयि० अर्धव० कविष्ट
अशुद्धं संभन्वित मात अवग्रहन्तः सावाद्य एत्म्यागृ० तत्र पु०
जुज्ज्ञे चूर्णाव०
शुद्धं संभवन्ति माता अवग्रहान्तः
सावद्य० प्म्यागृ० त्रपु० "जुज्झे चूर्णावध०
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