Book Title: Vandan Pratikramanavchuri
Author(s): Kanchanvijay, Kshemankarsagar
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 122
________________ पत्रांकः साक्षिपाठा वन्दनप्रतिक्रमणावचूरिः परि०४ ॥५२॥ साक्षिपाठः | एर्ग कोडिसयं खलु ऐश्वर्यस्य समग्रस्य कडाणं कम्माण कदाचिच्चलितो कम्मे सिप्पे अ कयवयकम्मो कह कह करेमि कहष्णं भंते ! जीवा | कह पुण? ते बितेगो कतारे दुभिक्खे काऊण वामजाणु कालविणयाइर. कालादओ वि मरिउं काले दिनस्स पहेणयस्स | किइकम्मस्स विसुद्धि कि इकम्मपि कुणतो पत्रांकः साक्षिपाठः ४३ कित्ति कडं मे पावं ३ कुलनिस्साए विहरह ३९ कूटसाक्षी सुहृद्रोही २७ कोउअभूइकम्मे ९ क्रियाशून्यस्य यो १२ खणमित्तसुक्खा ४. खंति सुहाण मूलं २७ खीरदहि अविभडाण "गणिमं जाईफलफोफ १८ गामवहत्थं २० गुच्छे च उत्थ पुण गुरुगुणजुत्तं तु गुरु ४५ गुज्झोरवयणकक्खो ३९ गुरुदत्तसेसभायण १८ गुरुबिरहम्मिय १२ गुरुविरहमि य पत्रांकः साक्षिपाठः २ गोशतादपि गोक्षीरं ११ घरट्टादियंत्रविक्रयो २७ घोडग लया य १७ चउत्थं जलेण सिद्ध २७ चत्तारि अंगुलाई २९ चत्तारि पडिक्कमगे ४५ चरणे दसणनाणे १८ चंदाइश्चगहाणं ३० चाउम्मासिअवरिसे ४१ चेडयकोणियजुज्झे ४१ चौरचौरापको मन्त्री छक्कायदयावंतो छजीवकायसंजम १९ छंदेणऽणुजाणामि २० जइ देसओ भाहर १ जइ बिन जाइ पत्रांकः| साक्षिपाठः ३१ जणरेणु पुढविपच्चय ३३ जह जह अप्पो लोभो जह जम्बूपायवेगो जं अण्णाणी कम्म ५ जं अजियं चरितं १२ जे कुणइ भावसलं १९ जाइकुल ८जाजीव वरिस चउमास ४५ जिअअजिअपुण्ण ४५ जिणअजिणतिस्थ २८ जिणमुणिवंदणअइमा १७ जे केवि गया मोक्खं ५२॥ १३ जो जारिसेण मिति ३७ जो समो सवभूएसु ३२ तज्ज्ञानमेव न भवति Jain Education RO1 For Private & Personel Use Only ainelibrary.org

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