Book Title: Vandan Pratikramanavchuri
Author(s): Kanchanvijay, Kshemankarsagar
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 124
________________ साक्षिपाठा: वन्दनप्रतिक्रमणावचूरि परि०४ ॥ ५३॥ साक्षिपाठः पूर्व तावत् गुह एव पोसे तणुछायाए पोसे बिहत्यिछाया प्रत्याख्यानानि तद्भङ्गा प्रथमं तावदीतपर्ष. फारफुल्लिंगभासुर फासि पालियं चेव फासुएर्ण एसणिजेणं | बत्तीसदोसपरि० बहुजणविरुद्धसंगो बागवई कोडीओ बारसंगो जिणक्खाओ बीओ माणुस | बीयाह किमम्हाणं भोयणकाले अमुग | भूजलजलणानिल पत्रांकः | साक्षिपाठः ३५ मग्गे अविप्पणासे १६ मच्छुब्वत्तं मणसावि १६ महुपुग्गलरसयाण १५ मा कार्षीत् कोऽपि पापानि २६ माणो अविणय ३२ मायाऽवलेहिगोमु. १८ मिच्छत्तथिरीकरणं ३० मित्ति मिउमद्दवत्ते मित्रद्रोही कृतघ्नश्च मुत्तासुत्ती मुद्दा मुहर्णतय देहा मुहपुत्ती वंदणय ४१ मूभं च ढङ्करं चेव ४१ यदि व्याक्षिप्तो गुरुः १९ यो विविक्षितक्षेत्रा २६ रनो व परुक्खस्सवि पत्रांकः साक्षिपाठः १ रनोऽवि परुक्ख १२ रागेण व दोसेण व लौल्येन किजित् वति वसे नो जस्स १२ वयभंगे गुरुदोसो बयसमणे वरुणो सोहममि बहमारणभन्भ वंदणचिइकिइकम्म १० वंदण तह उस्सग्गो विक्खितपराहुत्ते १९ विणओवयार माणस्स १२ बित्तिबुग्छेअम्मि उ १३ बिसएसु इंदियाई ३१ विहिगहियं विहि २० वेसागिहिसु गमणं पत्रांकः साक्षिपाठः १ वैरविश्वानरच्याधि १८ श्रुत्वा दुर्वाक्या २९ श्रद्धालुतां श्राति जिने. २२ श्रावकेण पौषधपारण के १६ सचित्त दब्ब विगई ३९ सज्झायझाणतव ४५ सहि वाससहस्सा २७ सट्टि लक्खा गुणनवह १७ सचेगट्टाणस्स उ १९ सत्सामीप्ये सद्बा १२ | सम्पन्नईसणाइ ११ सम्मठिी जीवो ४३ सर्वोत्तमे महा २२ सलं कामा विसं कामा १७ सम्बस्स चेव निंदा २३ सब्वे मारेहत्ति अ ॥५३॥ in Education For Private & Personel Use Only jainelibrary.org

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