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वड्डमाणचरिउ
११. भोज्य एवं पेयपदार्थ _ 'वड्माणचरिउ' एक तीर्थकर चरित होनेसे उसमें व्रत एवं उपवास आदिकी ही अधिक चर्चाएँ हैं, अतः भोज आदिके प्रसंग प्राप्त नहीं हैं। युद्ध-प्रसंगों, वन-विहार अथवा अन्य भवान्तर-वर्णन आदि प्रसंगोंमें कवि इतना व्यस्त प्रतीत होता है कि वह कोई भोज-प्रसंग उपस्थित नहीं कर सका है और इस कारण मध्यकालीन भोजन-सामग्री किस-किस प्रकार एवं कितने प्रकारकी होती थी, उनके क्या-क्या नाम होते थे, इनकी विस्तृत जानकारी प्रस्तुत रचनामें नहीं मिलती। हाँ कुछ उत्सव आदिके प्रसंगोंमें भोज्य-सामग्री उपलब्ध है, वह निम्न प्रक
खाद्यान्नोंमें-जौ, चना, मूंग, कोदों, गेहूँ, मार्ष, तन्दुल, मसूर, तिलं एवं उनसे बने पदार्थों की चर्चा की गयी है।
खाद्य पदार्थोंमें-फले , गुड़े', मधु, खीर'; खारे ( पापड़ ) तथा पेय पदार्थोमें-दुग्ध ' एवं मद्य की चर्चा आयी है । व्यंजनोंका निर्माण तुप्पै ( घी ) से किया जाता था।
पेय पदार्थों में एकाध स्थान पर मिलावट ( Adulteration ) का भी उदाहरण मिलता है । उसके अनुसार मद्यमें 'सज्ज' नामका कोई ओछा पदार्थ फेंटकर उसे बेच दिया जाता था।
खाद्य पदार्थोके तैयार करनेके लिए चरुआ, कलशे° तथा कड़ाह' आदि एवं भोजन करनेके लिए प्रयुक्त वर्तनों में स्वर्णपात्रे, रजतपात्रे, ताम्रपात्रे एवं अयसैपात्रों की चर्चा आयी हैं ।
१२. आभूषण एवं वस्त्र आभूषण एवं वस्त्र मानव-समाज की सौन्दर्यप्रियता, सुरुचिसम्पन्नता, समाज तथा राष्ट्रकी आर्थिक समद्धि, राजनैतिक स्थिरता, कला एवं शिल्पकी विकसनशीलता तथा देशके खनिज एवं उत्पादन द्रव्योंके प्रतीक होते हैं। इनके अतिरिक्त वे मानव-शरीरके सौन्दर्य बढ़ाने में विशेष सहायक होते हैं । अतः कवियोंने अपनी-अपनी कृतियोंमें प्रसंगानुकूल सोने, चांदी, मोती, माणिक्यके बने विविध आभूषणों तथा विविध महाय॑ वस्त्रोंके उल्लेख किये हैं । वड्डमाणचरिउमें भी कविने समकालीन कुछ प्रमुख आभूषणों एवं वस्त्रोंके उल्लेख किये हैं । जो क्रमशः निम्न प्रकार हैं
आभूषण-मणिजटित केयूरे, कनक-कंकणे, कनक-कुण्डले , कनक-कटके , रत्नहारे', रत्नमुकुटं', नूपुर, मेखला।
१-७. वड्ढमाण. ८1५1१०।
१०।६।५.१०।११।६। ८।५।१०।
३।१७६। ११.
४।२४।४। १०।७।५। ४।१।१। १०१७।५।
४।१६।३। १८.
१०१२७११४ ।
१६-२१. वड्ढमाण. ४/२०१३ । २२-२३, , ८६३। २४-२५, ८६३ ।
४।१।१७, ८।५।१२, १०।३१।१६। २७. "
८।३।४,१०।१८।१०। २८. .
।१२, १०१११२, १०।१८।१०। १०।१८।१०, १०।३१।१६ 1 ८।६।११, ६४।१, १०।३१।१६ ।
६।१६।११ । ३२.
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