Book Title: Vaddhmanchariu
Author(s): Vibuha Sirihar, Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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वड्डमाणचरिउ तारा-णियरई गयणहो पाडमि कूरग्गह-मंडलु णिद्धाडमि । णहयर-रायहो गमणु णिरुभमि दिक्करडिहिँ कुंभयलु णिसुंभमि । णीसेसुवि णहयलु आसंघमि जायरूव धरणीहरु लंघमि । विज्जाहर-पय-पूर वहावमि
सूलालंकिय करु संतावमि । मयणहो माण भडफ्फरु भंजमि भूअ-पिसाय सहास, गंजमि । दीसउ मज्झु परक्कमु बालहो
उअरोहेण समुण्णय-भालहो । घत्ता-तं सुणेवि वयणु पासहो तणउँ हयसेणेण समुल्लविउ।
हउँ मुणमि देव तह बाहुबलु परमई णेहें पल्लविउ ।। पास.-३।१५ यवन-नरेन्द्रको ओरसे युद्ध में भाग लेनेवाले कर्नाटक, कोंकण, वराट, द्रविड़, भृगुकच्छ,
सौराष्ट्र आदि देशोंके नरेशोंकै पावकुमारने छक्के छुड़ा दिये
छुडु पहरण पहार परिपीडिउ परबलु जंतु दिट्ठओ।
ता कलयलु सुरेहिं किउ णहयले रविकित्ति वि पहिलूओ ।।छ।। एत्थंतरेण
णिविसंतरेण । जउणेसभत्ते
वियसंतवत्त । वहु मच्छरिल्ल
संगरि रसिल्ल। पकर करिवि सत्ति
पयडिय ससत्ति। धाविय तुरंत
रुइ विप्फुरंत । पहुरिणु सरंत
जयसिरि वरंत । मरु-मरु भणंत
विभउ जणंत । ओरालि लिंत
रक्कारु दित। कण्णाड लाड
कोंकण-वराड। तावियड दिविड
भूभाय पयड। भरुहच्छु-कच्छ
अइवियड वच्छ । डिडीर-विज्ञ
अहियहिं दुसज्झ । कोसल-मरट्ठ
सोरट्ठ-धिट्ठ। इयहि असेस
परबल णरेस । णिज्जिणिय केम
करि हरिहिँ जेम। केवि छिण्णु केम
तरुराइ जेम । को वि धरवि पाश
खित्तउ विहा। को वि हिय विधु
वाणहिँ विरुद्ध । कासु वि कपालु
तोडिउ खालु। चूरिय रहाई
दिढ पग्गहाई। तासिय तुरंग
मरु-चंचलंग। दारिय करिंद
दूसिय णरिंद। फाडिय धयाई
चामर चयाई। खंडिय भडाइँ
वयगुब्भडाइँ ।
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