Book Title: Vaddhmanchariu
Author(s): Vibuha Sirihar, Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 417
________________ वडमाणचरित कुसुमंबर-पुष्प और वस्त्र ५।८।१ ककिल्लि-कंकेल्लि (अशोक) १।९।२ कुहर-पर्वत ९।१५।१६ कंचण-स्वर्ण १९।६ कूडु-कूट (शिखर) १।१३।९ कंचि-काञ्चि (लहँगा, धोती) ८०६७ कूरभाउ-क्रूरभाव २।८८ कंजकेसर-कमलकेशर २।३।११ कूराणणु-क्रूरमुखवाला २।७।११ कंठकंदलि-कण्ठकन्दलि ५।१४।६ कूरासणु-क्रूरभक्षी ३।२६।८ कंडवडु-काण्डपट (एकान्त विभागीय पर्दा)४।२४।१० कूरंतरंगु-क्रूर-अन्तरंग ३।२६।१०, ५।१०।१२ कंता-पत्नी २।१६७ कूरउरि-कूलपुर (नगर) ९।२०।१२ कंति-कान्ति ११७१५, ३३११११ कूला-किनारे ११३।९ कंतिविणिज्जय-कान्तिविनिजित २१४९ कूल-कूल (राजा) ९।२०।१३ कतिवंतु-कान्तिवान् २।३२५ केऊरे-केयूर (आभूषण) ४।१।१६, १०।३१।१६ कंद-कन्द (मूल) १०।१९।६ केयार-केदार, क्यारियाँ ११३।९ कंदर-कन्दरा २।९।९ केर, केरी-तस्येदमित्यर्थे षष्ठन्तात्प्रत्ययः ॥६६, कंदरा-कन्दरा, गुफा ५।११।२ २।१३।१० कंदरी-गुफा १।१३।३ केबलणाणि-केवलज्ञानी (मुनि) १०४०।४ कंदल-शोरगुल ४।३।११ केवल-केवल २।२।८ कंधर-कान्धौर (स्कन्ध) २।१६।१२, ४।१०।१०, केवल केवली १०।१७।९ १०.१७११३ केसरालु-जटाएं ३।२६।९ कंपण-कम्पन २।२११ केसरि-सिंह १।१३।३, ५।११ कंपिय-कम्पित २११३१४ केसरि-केशर (नामक सरोवर) १०।१५।९-१५ कंवल-कम्बल ७।८।९ केसरु-अयाल, जटा २।७।११, ४।१७।४ किंकर-सेवक २।५।१३ केसव-कृष्ण, नारायण (त्रिपृष्ठ) १०।१९।८ किंचुणा-किञ्चिद् ऊन १०।३८१२ केसंतरे-केशान्तरे ८७।१२ किपि-किमपि, कुछ भी १।१६।१२. को-कौन १।५।१२ कुंचइय-कञ्चुकित १०१९४८ कोइल-कोयल १८१०, ३१५:१३ कुंजरु-कुञ्जर १०१२६७ कोउ-क्रोध २।१०।१५ कुंडउरि-कुण्डपुर (ग्राम) ९।१६।२ कोऊहल-यरु-कौतूहलकारी ४।२१।१० कुंडपुर-कुण्डपुरनगर ९।१११५ कोड्ड-कौतुक ५।२१११ कुंडल-कुण्डल (द्वीप) १०१९७ कोडि-करोड़ १११२७ कुंत-कुन्त (अस्त्र) ५।१४।५ कोणाहय-कोणाहत ४।३।११ कुंथु-कुन्थनाथ (तीर्थकर) ११११११ कोत्थुहमणि-कौस्तुभमणि ५।१०।१, ५।२२।५ कुंथु-कुन्थादि जीव १११।११ कोदव-कोद्रव, कोदों (अन्न) ८।५।१० कुंद-कुन्द (पुष्प) ११५४९ कोरयंकुर-अंकुरित कोरकवृक्ष २।३।११ कुंदज्जलु-कुन्दोज्ज्वल ५।२३।२० कोवग्गि-दित्तु-क्रोधाग्निदीप्त ३।२६।२ कुंभ-कुम्भ (कलश) ९।६।२० कोविला-कोकिला २।।१० कुंभ-कुम्भस्थल ५।१३।४ कोवंड-कोदण्ड ५।१९।९ [ख] कोसलपुरि-कौशलपुर (नगर) २।१६।६ खग्गु-खङ्ग ५।१८।३ कोसिय-कौशिक (पत्नी) २।१८।११ खणद्ध-आधा क्षण १।१४।३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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