Book Title: Vaddhmanchariu
Author(s): Vibuha Sirihar, Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 419
________________ वड्डमाणचरिउ गय-गति ६।१४।३ गिरिवरि-पर्वत गिरिवर २।७।८ गयकाल-गतकाल १०।३९।३ गिव्वाणपुरी-गीर्वाणपुरी ( स्वर्गपुरी) ७१०८ गयघाय-गदाघात ५।२०।१० गिव्वाणसेल-गीर्वाणशैल ( सुमेरुपर्वत ) ९।१३।५ गयणयल-गगनतल २।१२।१ गिहवण-ग्रहण १।४।१२ गयणि-गगन १।४।५ गिहवइ-गृहपति ( रत्न ) ८।४।४ गयणु-गगन १०।३९।३ गिहवास-गृहवास २।१९।१ गयणंगण-गगनांगन ११४१६, २।१८।७ गीढु-घटित ३।१४।५, ९।६।२२ गयदंत-गजदन्त १०।१६।६ गीय-गीत १८।६ गयदंति-गजदन्त २।९।६ गुज्झ-गुच्छा १०१११११ गयपमाय-गतप्रमाद १।४।९ गुज्झ-गुह्य ( गोपनीय) ४।७।१ गयपुच्छ-गोपुच्छ ४।७५ गुड्डुर-गुहार ४।२४।१ गयराउ-गतराग २।९।१२ गुड-गुड़ ४।२४।४ गयराएँ-गतराग ( वीतराग) १।१६।१४ गुडसारि-गुडसारि ( कवच ) ५।७।११ गयवण-गजवन ११३१८ गुण-गुणस्थान ८५१०१५ गरिट्ठ-गरिष्ठ २४१ गुण-गुण ( व्याकरणभेद ) ९।१।१४ गरुएँ-गौरव ( शाली) ४।४।११ गुणटंकोर-धनुषकी टंकार ५।१७७ गरुडकेउ-गरुड़केतु ( त्रिपृष्ठ ) ५।२३।४ गुणठाण-गुणस्थान १०।३६४ गरुडु-गरुड़ ४७७ गुणणिउत्त-गुणनियुक्त ३।४।१ गरुड-गरुड़ (बाण) ५।२२।७ गुणणिहाणु-गुणनिधान १।१०।११ गरलु-विष ३।७।३ गुणाणुरत्त-गुणानुरक्त २।२।४ गरुलोवलथल-हरिन्मणि पन्ना द्वारा निर्मित गुणलच्छि-गुणलक्ष्मी २।५।१५ स्थल ३।२२५ -गुणसागर २।१।१० गरुवंगउ-गौरवांग २७।६ गुणसायरु-गुणसागर ( मन्त्री) ४।१७।११ गलगज्जि-गलगर्जन ३।२६।१० गुणायरु-गुणाकर ( विजय ) ४।१७।११ गलघोस-गलघोस. गलगर्जना ६।६।८ गुणासिउ-गुणाश्रित ४।२२।१३ गलण-गलन १०॥३९।१९ गुत्ति-कारागार १२७।२ गलियगव्वु-गलितगर्व ( निरहंकारी) ११९।३ गुत्ति-गुप्ति ८।१५।४ गलेलग्गी-गले लगी ४।७।४ गुत्तितय-गुप्तित्रय ८।११।१२ गहीर-गम्भीर ११८८ गुम्मु-गुल्म ४।२२।३ गाम-ग्राम ( गांव ) ११३।१३ गुरु-गुरु (बृहस्पति ) १०।३४.१७ गामा-ग्राम ९।१२ गुरुभत्ति-गुरुभक्ति २।१।११ गामि-ग्राम २।१७।१ गुरयरु-गुरुतर १।१७११६ गामे-ग्राम १०।९।१ गुहमुह-गुफामुख २।८।९ गिण्ह-ग्रह ८।१६।१४ गहा-गुफा (तीन सौ चालीस ) १०।१६८ गिर-वाणी १।१७।९ गूढमंदिर-गूढ़मन्दिर ( मन्त्रणाकक्ष ) ४।११।१२ गिरि-पर्वत २१७१६ गेण्हिऊण-V ग्रह + ऊण ३।११।११ गिरि-कंदर-गिरिकन्दरा २।२७ गेण्हेविणु-V ग्रह + एविणु २।१६।१० गिरिवइ-गिरिपति २।२०।१५ गेडु-गिद्ध ५।१२।१३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462