Book Title: Vaddhmanchariu
Author(s): Vibuha Sirihar, Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 439
________________ [ फ] ३३६ वड्डमाणचरिउ पोढिलु-प्रोष्ठिल ( नामक मुनिराज) २।४।१, पंडु-पाण्डुक शिला ९।१३।११ ८।१३।१३ पंडुर-पाण्डुर (वर्ण) २।२।११, १०७२ पोम-पद्म (नामक निधि) ८.६८ पंडुरिय-पाण्डुरित ३।२६।३ पोम-पद्म (नामक सरोवर) १०।१५।३ पंति-पंक्ति १०६६ पोममणि-पद्ममणि १।१२।८ पिंगलु-पिंगल (वर्ण) ८।५।६ पोमायर-पद्माकर ४।६।५ पिंड-पिण्ड, समूह ९।१३।९ पोयणक्खु-पोदनपुर (नामक नगर) ३।२११८ पिंडि-मदनक दाडिम २।३।१२ पोयणपुर-पोदनपुर (नगर) ३।२१।८, पुंजी-पुंजीभूत ९।११५ ५।२२।११. ६।१।११ पुंडरीय-पुण्डरीक (सरोवर) ६।१२।१२, १०।१५।७ पोयणपुरणाह-पोदनपुरनाथ ५।१९।१३ पुडुच्छु-पौंडा और ईख (गन्ना) १।३।१२, ३।११५ पोयणपुरवइ-पोदनपुरपति (प्रजापति-राजा) ६।२।४, ६।४।६ पोयणवइ-पोदनपति (प्रजापति) ४।४।१७,४।२१।५ पोयणेसर-पोदनपुर नरेश ४।११।१५ फग्गुण-फागुन (मास) ५।१३।८ पोलोमी-पौलोमी, इन्द्राणी १०॥३६।५ फण-फणावलि ९।१३१७ पंक-कीचड़ ७।३८ फणिफणाल-फणिफणालि, नागबाण ५।२२।६ पंकबहुल-पंकबहुल (पृथिवी भाग) १०।२२।९ फणि-मणि-फणि-मणि (नागमणि) ५।४।१४ पंकय-पंकज (कमल) १।६७ फणिवइ-फणिपति (फणीन्द्र) ४।३।५, ५।१११५, पंगण-प्रांगण ५७।१६ ९।६।२४ पंगणि-प्रांगण २।१०।१ णदू-फणीन्द्र ५।६।६ पंगणे-प्रांगण ७।१६।१० फणेद-फणीन्द्र २।१०।१० पंचगुरु-पंचगुरु (पंचपरमेष्ठी) ६।१७।४ फरुस-परुष, कर्कश १०।२५।१२ पंचत्त-पंचत्व २।१८।५ फलिह-स्फटिक १।४।१३, १।९।१, २०६४९ पंचपयार-पांच प्रकार ३।२३।५ फलिहभित्ति-स्फटिक भित्ति (स्फटिक मणियोंसे पंचम कप्पि-पांचवा कल्प (स्वर्ग) २।१६।३ निर्मित भित्ति) १।४।१५ पंचमि-पंचमी १०।४१।९ फलिह-सिलायल-स्फटिक शिलातल ३।२।२ पंचमुट्ठि-पंचमुष्ठि (केश) ९।२०।६ फाडिउ-स्फटित (फाड़ डाला ) ५।१७।८ पंचमुह-पंचमुख (सिंह) ६।१७।२ फुड-स्पष्ट १०।८।१३ पंचयण्णु-खग्गु-पांचजन्य खड्ग ५।१०।१ फुडु-स्पष्ट ४।१७।१३; ६।७।१ पंचवयणासण-पंचवदनासन (सिंहासन) १०।३।२ फुरिय-स्फुरित ३।२०११ पंचवाणावलि-पंचबाणावलि २।६।१२ फुरंत-स्फुर + शतृ २।१३।९ पंचवीस-पच्चीस २।१६।१ फुल्ल-फूल ५।२२।२ पंचसय-पांच सौ १।१७।४, ९।१४।१ फुल्लगंधु-पुष्पगन्ध ( फूलोंकी सुगन्ध ) २।३।८ पंचाणणु-(नामक) सिंह १।५।६, ३।२४।९ फल्लिय-वल्लि-पुष्पित वल्ली (फूली पंजरे-पिंजड़ा १।१४।७ हुई बेल ) २।३।१८ पंजलयर-प्रांजलतर २।८।८ फेण-फेन ( झाग) १।१३।१० पंडव-पाण्डव १०॥३८।१० फेणाविल-फेनसे भरे हुए ४।२०।११ पंडु-पाण्डु (वर्ण) ८।५।६, ९।९।१ फेनालि-फेनालि, फेनसमूह २७।५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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