Book Title: Vaddhmanchariu
Author(s): Vibuha Sirihar, Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 443
________________ ३४० वड्डमाणचरित महामइ-महामति १।१।१६, २।१८७ माऊर-मयूर, मोर ८७२ महालया-महालता २।३।३ मागणु-माँगना, याचना ५।४।३ महासइ-महान् आशयवाले २।८६ मागहु-मागध ( देव ) २।१३।४, ६।११५ महासमु-महाशम ४।२१।९ माणथंभु-मानस्तम्भ ९।२२।८, १०।२।४ महाहिमवंत-महाहिमवन्त (पर्वत) १०।१४।४, माणउ-माणव ( नामक निधि ) ८.५७ १०।१५।१२ माणव-माणव (नामक नि ८।६।१० महि-मही, पृथिवी (कायिक जीव) १०४३ माणि-मानो, समझो १।१४।३ महिणाहु-पृथिवीनाथ २।५।८ माणिणि-मानिनी २।३१९ महिताडिय-महीताडित, पृथिवीको ठोकना ४।६।४ माणंतु-माण + अन्त ( मानना ) १।४।१८, २।११३ महिमंडलु-महीमण्डल २।४।१० माय-माया १।४।९ महिय-महित, पूजित ८।२।१२ मार-कामदेव १।१०।१३, २।३।४ महियले-महीतल १।४।१३, ३।१।१२ मारण-मारण ८1१६४ महिराएँ-महीराज (नन्दिवर्धन) श६।११ मारिवि-/मृ + इवि-मारकर २।८१ लि-वृक्ष के नीचे ११९।२ मारी-मारी ( रोग) ३११११३ महिला-महिला, नारी ३।८।६, १०१२६८ मालिया-मालिका १।८१ महिवइ-महीपति २।४।४ मास-उड़द ८।५।१० महिवलइ-पृथिवीतल ०५।३ मास-महीना ८।१७।३ महिवीढु-पृथिवीमण्डलपर श७१ मासोपवास-मासोपवास (व्रत ) ३३१७११ महिस-महिष, भैसा ६।१३।७ मासंसउ-मांसभक्षण १०११७११४ महिहर-महीधर, महाराजा २।५।१४, ४।२०।१४ माहिंद-माहेन्द्र (स्वर्ग) २।१९।४, १२, १०।३०।११ महिहर-पृथिवी ४।२०११४ मिच्चु-मृत्यु २।२१।१०, ५।१४।८ महिहर-पर्वत १।४।६ मिच्छत्त-मिथ्यात्व १११०१३ महीयल-पृथिवीतल श६ मिच्छत्तमेण चुओ-मिथ्यात्वसे च्युत २।१५४९ महीवीढु-महि + पीठ, पृथिवीमण्डल २।५।१७ मिच्छत्ताणल-जाल-मिथ्यात्वकी अग्नि ज्वाला महीसु-महि + ईश = महीश (नृपति) १।१२।६ २।२२।२ महु-मेरी, मुझे शश१६ ९१० मिच्छत्तारि-मिथ्यात्वारि २०६६ महु-मधु १।४।१४, १०७।५ मिच्छत्तासत्त-मिथ्यात्वमें आसक्त १।१५।१ महुमास-मधुमास ९।९।८ मिच्छा-मिथ्या ( गुणस्थान ) १०॥३६॥६ महुर-मधुर १।१७।९ मिच्छादिट्ठि-मिथ्यादृष्टि २।१६।९ महुर-मथुरा ( नगरी) ३।१७१२ मिच्छाहिउ-म्लेच्छाधिप २।१३।८ महुवर-मधुकर ३।५।१२, ४।३।१४ मिदुमहि-मृदुभूमि ( पृथिवीकायिक ) १०७।१३ महुस्सरु-मधुर स्वर २।१०।५ मिस्स-मिश्र ( पृथिवी ) १०७१ महु सुक्कि-महाशुक्र (स्वर्ग) ७।१७।९ मिस-मिष-बहाना ३।१५।३ महे-महि ( आधारभूमि ) १।११।११ मिहिर-सूर्य ११३१४ महोरय-महोरग १०।८।१५ मीण-मत्स्य १०।१०११ महंत-मह + शतृ-महान् १।१५।५, २।११।३ मीलियक्खु-मीलिताक्षि, नेत्र निमीलन ५।१४।४ महिंद-माहेन्द्र ( स्वर्ग) ६।५।९ मुक्क-मुक्त १।१७, २।२२।१ माइउ-मात, समाया हुआ, अटा हुआ २।१२।१ मुक्कु-मुक्त, छोड़ना २।१३।६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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