Book Title: Vaddhmanchariu
Author(s): Vibuha Sirihar, Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 446
________________ शब्दानुक्रमणिका ३४३ रोम-रोम १०१३०।४ लवणण्णव-लवणार्णव, लवण समुद्र ४।५।८ रोमंच-रोमांचित ४।२७ लहइ-Vलभ + इ (प्राप्त करना) १।१०।१ रोमंचियउ-रोमांचित ६।१२ लहु-शीघ्र २।८।४ रोमंचियसरीरू-रोमांचित शरीर २।४७ लहुचर-लघुतर २।५।४ रोह-रोध (रोकना) २।३।६ लहेविणु/ लभ् + एविणु (लेकर) १७।११ रोहि-रोहित (नदी) १०।१६।१ लहेवि-Vलभ् + इवि १।१०।११ रोहिणि-रोहिणी (विद्या) ४।१८।१२ लाइउ-लात १।१७।१५ रोहिणि-रोहिणी (चन्द्रमाकी पत्नी) लालिवि-लालन-पालन कर २।११।१ ७।११।१, ९।४७ लालस-लालसापूर्वक १।४।१४ रोहिणी-अवरोधनी ९।४७ लावंजलि-लावांजलियाँ ४।१९।१२ रोहियासा-रोहितास्या (नदी) १०।१६।२ लावण्ण-लावण्य १।६।१, ११७१९ रंजत-मनोरंजन करते हुए २।१८।१ लाहालाह-लाभालाभ ८।१६।६ रणरमिय-आरण्य-रमित (वनमें रमण करना) लिप्प-लिम्प् (लीपना) १०॥३८।११ २।७।१२ लिहिय-लिखित (लिखा गया) १।८६,५।१२।४ रंध-रन्ध्र ८।६।५ लुअ-लून ९।२०१६ रंधु-रन्ध्र ५।२०।१० लेप्पाहार-लेप्याहार १०॥३५२ लेस-लेश्या ९।१९।४ [ ल] लोयापवाय-लोकापवाद ३।१६।५ लइय-लात, गृहीत (ले लिया) २।१०।४ लोयायास-लोकाकाश १०॥३९।८ लक्खण-लक्षण ३।३।१० लोयाहिय-लोकाधिप १०।३।८ लक्खण-लक्ष्मणा (विशाखभूतिकी पत्नी) ३।३।१० लोयंतिय-लौकान्तिक (देव) ९।१८।९ लक्खण-तणूउ-लक्ष्मणाका पुत्र ३।१३।१ लोलंत जीहु-लपलपाती जिह्वा ३१२७१७ लक्खिय-लक्षित २।१४।८ लोव-लोप ९।१।१४ लच्छि समिधु-लक्ष्मीसे समृद्ध ३।२।१४ लोह-खणि-लोभकी खान ८1८।५ लच्छी-लक्ष्मी १।१७।१० लोहिय-लोहित ३।२७।८, ५।१३।९, १०।२५।२ लच्छीमंडणु-लक्ष्मी का मण्डन १।१५।१० लंकरिय-अलंकृत ३।२।१२ लज्ज-लज्जा ३।१५।३ लंगलु-लांगल (अस्त्र) ५।९।१५ लट्ठि-यष्टि, लाठी ६।१२।९ लंगूल-पूंछ २।७।१० लट्ठी-यष्टि, लाठी ५।१९।४ लंघेविणु-/लङ्घ + एविणु (उल्लंघन कर) लद्ध-लब्ध १।१५।११ ३।५।११ लद्धिउ-लब्धियाँ (सात) १०।२।९ लंपिक्क-लम्पट ७।१५।१२ लय-लता १।८।३ लंवमाणु-लम्ब+ शानच् (लटकते हुए) २।३।१४ लयाहर-लतागृह १५८५ लित-ला + शतृ २।९।४ ललए-लालन-पालन २।२।४ ललिय-ललित ११३।३ ललिवि-लालन-पालन १।१३।१ वइजयंति-वैजयन्ती। ८.१८ लवडोवल-लकड़ी-पत्थर २।१०८ वइतरणि-वैतरणी ( नदी ) ६३१२१८, १०।२४।१२ लवण्णव-लवणार्णव, लवण समुद्र १०।१०।१ वइराइल्ल-वैराग्ययुक्त ८।२।१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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