Book Title: Vaddhmanchariu
Author(s): Vibuha Sirihar, Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 450
________________ विमल चंदु - विमल चन्द्र ( आश्रयदाता नेमिचन्द्रका पुत्र ) विमल - सीलु - विमल शील विमलयर - विमलतर विमीसिय-विमिश्रित विरय - वि + रचय ( प्रणयन ) विरयंतु वि + रच् + शतृ विरसु - वि + रस (दुखी) विरहिण - विरहिणी विराम - विराम विरालु-विलाव शब्दानुक्रमणिका Jain Education International विरोह - विरोध विलग्ग - विलग्न १०।४१।१३ १।१६।११ ३१७१८, ५1१1७ १०।१२।५ विलुत्त - विलुप्त १।३।१२ विलेव-विलेप विमुक्क-विमुक्त १।१०१२ विलंबमाण - बिलम्ब करते हुए विमुक्कउ - विमुक्त+क ( स्वार्थे) विमुक्कु-विमुक्त विही- विमुखी ३।१३।१० १११६४७ विलुंटि - वि + लुण्ट ( लूट लेना ) विब्भाडिउ - अपमानित, ताडित, नाशित विवक्खि - विपक्षी १।४।१० वियक्खण-विचक्षण विक्खणु - विचक्षण २१६८ विवज्जिय-विवर्जित १०।१२।६ वियs - विवृत (योनि) वियप्प - विकल्प १।३।१ वियय - वितत ८1६५ वियलदिय - विकलीन्द्रिय १०१४१४ वियसिउ - विकसित १११०१४ वियाण-विज्ञात, जानना • १२।१२ वियाणि - विज्ञात १।१४।३ वियाणिय- विज्ञात ( जानकर ) २२२ ४/३१३ वियार-विचार वियारिय-विदारित २।१०।१२ विरइउ - विरचित ११२५ विरइय - विरचित १1१०1५ विरइयराएँ - अनुरागको उत्पन्न करनेवाला १।६।११ . विरइवि - विरच्य, विरचित कर रचा कर १।७१३, ३।१७१९ २१११८ विरएप्पिणु - वि + रच् (धातु) + एप्पिणु विर एवि - वि + रच (धातु) एवि विरतु - विरक्त १।१०१८ १।१४।४ ३।९।६ विरमियउ - वि + रमित + क ( स्वार्थे ) विरमेविणु - वि + म् + एविणु (विरमकर) ५।२।३ विरय - विरत १।४।९ ११२७ १।११।४ १।५।१२ विसय-तृष्णा २४६ विलवइ - विलाप करना विलीणु - विलीन २|१|१४ विवर - विवर, छिद्र १।१४१८, २२६५, ६।१४।११ विवाय- विपाक ३।५।२ विविह - विविध विविहाउह - विविध आयुष विबुहसिरि- विबुधश्री (कवि ) पुष्पिका (१), पुष्पिका (२), पुष्पिका (३), पुष्पिका (४), पुष्पिका (५), पुष्पिका (६), पुष्पिका (७), पुष्पिका (८), पुष्पिका (९), पुष्पिका (१०) विवेउ - विवेक विस्सगंदि - विश्वनन्दि ( राजकुमार ) १।४।१४ ३।४।१, ३।६।१०, ३।१४।११ ३।१७/३ ३।२।१४ १।१५।१२ ११९१८, १1१४१५ ७११४/७ १।११।४ १।१५।२ १।१४।११ २/२०१५ ३।९।१४ विसट्ट - दलन, विघटित ( आश्चर्यचकित ) ४२११४ विसय-विषय-वासना १।१।१२, १८१७ विस्सदि - विश्वनन्दि ( मुनि ) विस्सभूइ - विश्वभूति ( मगधनरेश ) विस्सासभाउ - विश्वासभाव विस - विष १३५, ११८१२, २।१०।१ ४२०।१२ विस-कमलतन्तु विसइभाउ - विषयभाव विसए - विषय विसए - विषय-वासना विसज्ज - विसर्जन, प्रेषण विसज्ज - विसर्जित विसयविरउ - विषयविरक्त ३४७ १।१६।६ ५।१७।२० २।२११३ १।१३।१२ १।५।११ ५१८१ १।४।११ २1१०1८ २।१३८ २।९।१६ १।१०१५ ५/५/९ विसरिस - विसदृश विसयहर - विषयरूपी विषको हरनेवाला For Private & Personal Use Only ८।२।१२ १।१६।१३ १।१।१२ १०१७/५ www.jainelibrary.org

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