Book Title: Vaddhmanchariu
Author(s): Vibuha Sirihar, Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 459
________________ ३५६ वड्डमाणचरिउ संखुहिय-संक्षुब्ध ४।५७ संदाण-संदान २।८।१० संखोहण-संक्षोभण २।१८।११ संधंतु-/सन्ध + शतृ (सन्धान) ५।१६।९ संगम-संगम (देव) ९।१७।५ संधाणु-सन्धाण ५।१।१० संगम-संगम २।४।५ संधि-सन्धि (व्याकरण सम्बन्धी) ९।१।१४ संगया-संगता ११८७ संधिय-सन्धित, सन्धान करना ११८७ संगर-संग्राम ३।१३।२, ४।९।११, ५।१७।१६ संपय-सम्प्रति २०१९ संगह-संग्रह ३।१९।१० संपयरूउ-सम्पदा-रूप १११४।२ संघाउ-संघात २।२२।४ संपयाणु-सम्प्रदान (समर्पण) ४।४।१६ संघाय-संघात १०।२३।११ संपहिठ्ठ-संप्रहृष्ट (सन्तुष्ट) ९७१ संचइ-संचय - २।९।१२ संपाविय-सम्पादित ३।१२।३ संछइय-संच्छन्न १०।२८।१० संपुड-संवृत्त (योनि) १०।१२।६ संजणिय-संजनित २।५।७, ३।२।५ संपुड-वियउ-संवृत्त-विवृत्त (योनि) । १०।१२।६ संजम संयम ८।१२।५ संपेसिउ-सम्प्रेषित ३।१०।११ संजय-संजय (यति) २।८।६ संबंध-सम्बन्ध ४।१५।९ संजाउ-संजात १।१२।४ संबोहिय-सम्बोधित १३।२ संजायउ-संजात + क २।१२।१. २।१७११० संभरेइ-संस्मृत, स्मरण कर १।३११ संजायवि-संजात + इवि (उत्पन्न हुआ) २।२१।११ संभव-सम्भवनाथ (तीर्थंकर) ११११४ संजोएँ-संयोग २।२२।५ संभवहर-संसारके नाश करनेवाले १।११४ संजुत्तउ-संयुक्त + क ३।१८।३ संभाल-सम्हाल २।११९ संजोय-संयोग ८1१६६ संभासिउ-सम्भाषित १।१७।९ संझराउ-सन्ध्या राग (सन्ध्याकी लालिमा) १११४॥२ संभिण्ण-सम्भिन्न (नामक ज्योतिषी) ४।४।६ संझा-सन्ध्या संभिण्णु-सम्भिन्न (ज्योतिषी) ३१३०१८ संठिउ-संस्थित २।४।७, २।२०।१५ संभिन्न-नामक दैवज्ञ या ज्योतिषी ३।३११७ संठिय-संस्थित ११८८ संभूय-सम्भूति (नामक मुनीश्वर) ३।१६७ संडिल्लायणु-शाण्डिल्यायन (नामक विप्र) २।२२।८ संभूवउ-सम्भूत + क (उत्पन्न) २।१९।९ संण्णि-संज्ञी १०८७ संवच्छर-संवत्सर १०॥४१३८ । संत-सन्त (साधु) १।९।८ संबंधिय-समधी ४।१।१५ संत-सत् (अस् धातोः) शश९ संवरु-संवरण २।७।२, १०॥३९।२१ संतइ-सन्तति १।१४।३ संसग्गु-संसर्ग ४।२।८,५।३।१४ संतावण-सन्तापन ५।१२।९ संसारिय-संसारी जीव १०।४।२ संतावहारि-सन्तापहारी १।२।५ संसारोरय-संसारोरग (संसाररूपी सर्प) १९।८ संतविय-सन्तप्त ३५।७ संसारुभव-संसारमें उत्पन्न १।२।५ संताविय-सन्तापित २।२१।५ संसाहिय-संसाधित । ८।१४।३ संतासिय-सन्त्रासित १।१०।९ संसूय-संसूचना २।२१२ संति-शान्तिनाथ (तीर्थकर) ११०.१६ संसेहए-संसेवित ९।१।१० संतोसु-सन्तोष १।१२।१२ संहरिया-संहृत, संकुचित ७।१४।२ संथुय-संस्तुत १०३८ सिंगग्ग-शिखरके अग्रभाग ३।२।२ संदणभड-स्यन्दन-भट २।१३।२ सिंचइ-/ सिंञ्च + इ (सींचना) २।२०१४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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