Book Title: Vaddhmanchariu
Author(s): Vibuha Sirihar, Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 461
________________ ३५८ वड्डमाणचरिउ हियउहणंतु-हृदय + हन् + शतृ (छाती पीटना) हंस-हंस ९।१११५ २।२११३ हंसपंति-हंस पंक्ति ३।१।११ हिययकमल-हृदय कमल २।१०७ हंससेणि-हंसश्रेणी २।३।१७ हिययर-हितंकर ३।७।२ हंसिणी-हंसिनी २।१७।४, ७।१०।२ हिययारिणि-हितकारिणी १।१४।११ हंसिणी-हंस-हंसिनी एवं हंसका जोड़ा १८९ हिरण्णवत्तु-हैरण्यवत (क्षेत्र) १०।१४।४ हिंडइ-V हिंड + इ (भटकना) १।१५।१ हिरि-ह्री (देवी) ९।८।४ हिंडमाण-हिण्ड + शानच २।३।१० हुउ-भूत (हुआ) १।५।२ हिंस-हिंसा १।१५।५ हुववहु-हुतवह, अग्नि ६।१०७ हिंसा-हिंसा ७।६।११ हेम-कंचन (सोना) २।१४।६ हुँकारु-हुंकार ५।१७८ हेमइजल-हेमन्त (ऋतु) का जल १।५।१२ हुंड-हुण्डक (संस्थान) ६।११३८ हेमरहु-हेमरथ ( राजा कनकध्वज का पुत्र ) हुंडंगु-हुण्डक अंग (संस्थान) १०।२३।९ ७।४।१२ हुंडु-हुण्डक (संस्थान) १०११११११ हैमवंत-हैमवत (क्षेत्र) १०।१४।३ हुंतउ-/भू (धातोः) हुआ २१७८ होज्ज-भू धातोः १।१६।२ हुंत-/ भू + शतु ११११११० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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