Book Title: Vaddhmanchariu
Author(s): Vibuha Sirihar, Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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वड्डमाणचरिउ हियउहणंतु-हृदय + हन् + शतृ (छाती पीटना) हंस-हंस
९।१११५ २।२११३ हंसपंति-हंस पंक्ति
३।१।११ हिययकमल-हृदय कमल २।१०७ हंससेणि-हंसश्रेणी
२।३।१७ हिययर-हितंकर ३।७।२ हंसिणी-हंसिनी
२।१७।४, ७।१०।२ हिययारिणि-हितकारिणी
१।१४।११ हंसिणी-हंस-हंसिनी एवं हंसका जोड़ा १८९ हिरण्णवत्तु-हैरण्यवत (क्षेत्र) १०।१४।४ हिंडइ-V हिंड + इ (भटकना) १।१५।१ हिरि-ह्री (देवी) ९।८।४ हिंडमाण-हिण्ड + शानच
२।३।१० हुउ-भूत (हुआ) १।५।२ हिंस-हिंसा
१।१५।५ हुववहु-हुतवह, अग्नि ६।१०७ हिंसा-हिंसा
७।६।११ हेम-कंचन (सोना) २।१४।६ हुँकारु-हुंकार
५।१७८ हेमइजल-हेमन्त (ऋतु) का जल १।५।१२ हुंड-हुण्डक (संस्थान)
६।११३८ हेमरहु-हेमरथ ( राजा कनकध्वज का पुत्र ) हुंडंगु-हुण्डक अंग (संस्थान)
१०।२३।९ ७।४।१२ हुंडु-हुण्डक (संस्थान)
१०११११११ हैमवंत-हैमवत (क्षेत्र) १०।१४।३ हुंतउ-/भू (धातोः) हुआ
२१७८ होज्ज-भू धातोः १।१६।२ हुंत-/ भू + शतु
११११११०
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