Book Title: Vaddhmanchariu
Author(s): Vibuha Sirihar, Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 429
________________ ३२६ वड्डमाणचरिउ तियालजोउ-त्रिकाल-योग ८।१४।९ तेय-अग्नि ( कायिक जीव ) १०४॥३ तिरयणु-तिर्यंच (त्रीन्द्रिय) १०१९।१३ तोडि-/त्रुट ( तोड़ना) १।९।६, १०॥३२।१३ तिरयह-तिथंच (पंचेन्द्रिय) १०।४।५ तोस-तोष २।९।१५ तिल्लोकणाहु-त्रैलोक्यनाथ ९।१४।४ तुंगउ-तुंग ( ऊँचा) १।१२।१२, २१७६ तिल्लोकाहिउ-त्रिलोकाधिप १०४०।१३ तंतु-तन्तु, तागा १।१४।८ तिल-तिल ८।५।१० तंदुल-तन्दुल ८1५1१० तिवग्ग-त्रिवर्ग १।१३।५ तंवोल-ताम्बूल ५।८।१ तिविठ्ठ-त्रिपृष्ट (नारायण) ३।२३।१०, ३।२५।११, [थ ] ३।२८।६, ३।३०।११, ३॥३१॥४, ४।२।४,७, ४।११।१३, ५।२१८, थक्क-स्तब्ध, स्थित, पड़ा हुआ ५।४।१ ५।२२।९, १४, ६।२।११ थट्ट-( देशी ) समूह ४॥२।५ तिसा-तृषा ६।१६।३ थड्ढत्तणु-स्तब्धत्व, धृष्टत्व ( काठिन्ये तिसूल-त्रिशूल १०।२५।१० गर्वे वा ) ९।१।१२ तिहुयण-त्रिभुवन २।९।२ थण-स्तन १०११०२ तिहुवणु-त्रिभुवन २।१२।२ थणिय-स्तनितकुमार ( नामक देव) १०१२९७ तुज्झु-तुझे ११६१ थल-गब्भ-स्थल गर्भ (गर्भसे उत्पन्न तुप्प-(दे.) घी ४।१६।४ थलचर जीव ) १०।१०।१३ तुरयगलु-चक्रवर्ती अश्वग्रीव (हयग्रीव) ४।१०।६, थलयर-स्थलचर ( जीव ) १०।८।१४ ४१७।९, ५।९।१०, ५।२३।१२ थव/स्थाप्य ३३५४३ तुरयगीउ-हयग्रीव (अश्वग्रोव) ५।४।४, ५।१८।१४, थवइ-स्थपति ( शिल्पीरत्न ) ८।४।४ ५।२०१२ थविर-स्थविर ( वयोवृद्ध अनुभवी एवं तुरयणाणि-चतुर्थज्ञानी (मनःपर्ययज्ञानी) १०४०।३ कुशल मन्त्री ) ६।१०।३ तुरं-तुरही ( वाद्य ) २०१४।१ थावर-स्थावर ( जीव ) १०१६।३. तुरंगकन्धर-चक्रवर्ती अश्वग्रीव ४।११।५ थावर जोणि-स्थावर योनि २।२२।३ तुरंगु-तुरंग ( निधि-रत्न) ८।४।४ थावरु-स्थावर ( नामक विप्र पुत्र ) २।२२।१० तुरंतउ-तुरन्त २।४।३ थिउ-स्थित २१७७ तुसारु-तुषार १०।२०।४ थिरमणु-स्थिर मन १११३।११ तूर-तूर्य ( वाद्य ) १११०८, २।१४।१ थिरयर-स्थिरतर २।२।६ तूल-तूल, रूई ८1५।८ थिरयरु-स्थिरतर ८।१७।४ तूस-तुष्ट ४।४।११ थिरलंगूल्लु-स्थिर पूँछ २।८।१० तेइल्लउ-तेजस्वी २।१८।१३, ३।२९।४, ५।१११३ थिरु ठाइवि-स्थिर-स्थित होकर २।७।३ तेउ-तेज १।५।१ थिरो-स्थिर ९।११।६ तेउ-तेज, तेजस १०।६।२ थुणंतु-Vस्तु + शतृ २।१३।४ तेउ-तेजोकाय ( अग्निकाय) १०।२०।९ थुव-स्तुत ११३८, ३।२७।१० तेण-तेन ( उसने ) १।१७।१३ थूल-निवित्ति-स्थूलनिर्वृत्ति ७।६।१२ तेत्तहे-तत्र ( वहाँ) २।४।३ थह-स्तप ९।२३३८ तेयवंत-तेजवन्त तेजस्वी थोउ-स्तोत्र, प्रशंसा ५।२।८ १।१०।११; २।३।५; ५।८८ थोत्तु-स्तोत्र, स्तुति १०।२।१२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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