Book Title: Vaddhmanchariu
Author(s): Vibuha Sirihar, Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
थंतु - स्थित थंभ-स्तम्भ
[द] ]
दउवारिय - दीवारिक, द्वारपाल दक्खिणाणलं - दक्षिणानिल (मलयानिल) दट्ठाहर - दृष्टि + अधर - दृष्टाधर ( अधरोष्ठ
दबाकर )
दढ़भुआ - दृढ़ भुजा
दणुव-दानव
दप्पण-दर्पण
दप्पणि-दर्पण
दय - दया
दर-दर, ईषत्
दरहास- मन्द हास्य
दरिसिउ - दर्शित दरिसिय-दर्शित
दलिय - दलित
दलियगिरिद - दलित गिरीन्द्र दलियवारिविंद - दलितारिवृन्द
दव्व- द्रव्य
दव्वदान- द्रव्यदान
दसणग्ग - दशनाग्र ( आगे के दाँत)
दसमी - दशमी
दस सय- सहस्र
दहमइ - दशम, दशवीं
दहसायर - दससागर
-
दहरयणायर - दसरत्नाकर, दससागर दहसयलोयण - सहस्र लोचन (इन्द्र)
दाढाल उ-दंष्ट्रा वाले दाण-दान
५।१०।६
३।१५।७
Jain Education International
शब्दानुक्रमणिका
३।२९।१
२।३।२
५।२।१४
१।७।३
४५५
३।२१।९
८७ ११
१।१६।९
१।१३ | १४
२५१८
२२६१५
२।४।६
२६।१२
४।१२।११
४|५|१०
९/२०१४, ९।२१।१३
,
दहंगु भोउ - दशांग भोग दाइणि-दायिनी
दाढ़ाकरालु - दंष्ट्राकराल (कराल दाढ़ोंवाला)
दाणओ-दानव दाणशील- दानशील दावि - दापय
१०१८ ११, १०।१०।१४ २२२११
दाहिणदिसि - दाहिनी दिशा
दाहिणपवन - दक्षिण पवन दिग्गज - दिग्गज (दिक्पाल ) दिक्ख-दीक्षा
दिक्खाहिलासु - दीक्षाभिलाषा दिक्खिय-दीक्षित
( अरिवृन्दका दलन ) ३३८ ९ दिणेसु - दिनेश (सूर्य)
८१०१६
४|४|४
दिट्ठउ-दृष्टम् (देखा )
दिट्ठि - दृष्टि दिट्ठिमउ-दृष्टि- मद
दिढ़ - दृढ़
दिढ़यर - दृढ़तर
दिनमणि - दिनमणि, सूर्यकान्तमणि
दिणयर - दिनकर
दिrयरु - दिनकर
दिणि-दिन
द--द
दिणेसरु - दिनेश्वर
१|४|४ १।७।३
२।१६।४ दिव्वज्झुणि- दिव्यध्वनि दिव्ववाणि दिव्य वाणी दिव्वारव - दिव्य रव (ध्वनि) दिव्वाहरण - दिव्य आभरण दिग्विजई - दिग्विजय
दिणिदु - दिनेन्द्र (सूर्य) दिप्पंत - दीप्यमान दियपंति-द्विजपंक्ति दियंवर - द्विजवर ( श्रेष्ठ द्विज ) दियंतर- दिशान्तर, दिग्दिगन्तर दियंवरु- दिगम्बर
४|१५|२
८७५ दिवसा हि-दिवसाधिप (सूर्य)
२।१३१३
दिवायरा - दिवाकर ( सूर्य )
दिसविहाय - दिशा विघात
३।२६।९
दिसा-दिशा
२|७|१०
दिसिचवक - दिशाचक्र
१।१२।१२, २।५।१६ दिहि- धृति ( देवी )
For Private & Personal Use Only
३२७
८११२१८
१।४।१०,१।१६।११
१।१०।१०
११३५, ३११८१४
२।६।३
४१११५
१।१७।१४
१।१५/७
२१४१८
१।१३।९
१।१।१
२।९।७
४१५१९
५।७।१३
१।१०।१३
८३१८
१०।३४।१
१२१, ११५१८
१।१६८ २।११।१२
२३१५
५।६।६
२।५।१०,२।१६।९
२८१२
२१८१२
१८१२
२७२,८१०१११,१०१३।५
१०1३1९
११९४
१०।१।१२
२।२२।१३
२।१३।२
१।१५।११
१५/४
२।१०।११
१।३।१४
४|४|३
९१८२४
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462