Book Title: Vaddhmanchariu
Author(s): Vibuha Sirihar, Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 420
________________ शब्दानुक्रमणिका ३१७ गेरुअ-गैरिक ( गेरुआ) ५।१३।१० गेवज्जहि-प्रेवेयक ( स्वर्ग) १०।२०।१६, घग्घर-घर्घर ६।११।१० १०॥३०॥१५ घट-घटा ३।२२।२ गेह-गृह ११०१५, १।१७।१२ घडपिंड-घटपिण्ड ४।१५।५ गो-गाय ( पृथिवी) १।१३।२ घडिय-घटित ९।२।१ गउ-गाय १।१३।२ घण-घना ३३६१ गोउर-गोपुर १४।६, ९।२२।१२ घणलोम-धनरोम (नभचर जीव) १०।८।१३ गोत्त-गोत्र १०।२।२१ घणसूई-खड़ी सुई १०।६७ गोत्तमपिय-गौतमप्रिया ( गौतम विप्रकी घणु-मेघ १।१३।१२ पत्नी) २।१७।१३ घणुकज्जलु-घना काजल २।२२।१५ गोत्तम-गौतम ( द्विज) २।१८।१० घम्मु-घाम (धूप) २।३।१२ गोभि-गोभिन् ( त्रीन्द्रिय) १०८।२ घय-घृत १०७५ गोयरु-गोचर ५२११४ घयमहु-घृतमुख (द्वीप) १०।९।६ गोरस-गोरस ४।२२।६ घर-गृह १११४॥६ गोल्ह-विबुध श्रीधरके पिताका नाम १।३।२ घरपंगण-गृहप्राङ्गण २।११।१० गोलच्छ-पुंछकटा ४।७५ घरिणी-गृहिणी ११४।६ गोविउ-गुप्त ( छिपाया गया) १०।६।१२ घाउ-घाव, प्रहार ५।५।१० गोसकिरण-प्रभातकिरण ४।९।५ घाए-घातियाकर्म ६।५।८ गोहण-गोधन १३।१२, २।१०।३ घायचउक्क-घातियाचतुष्क ६।१०।११ गोहा-गोह ( थलचर जीव ) १०।८।१५ घित्तिउ-गृहीत (खींचना) ५।१८।५ गोहूम-गोधूम ( गेहूँ) ८1५।१० घिप्प-धात्वर्थे (देशी.) ग्रह १०३८।११ गोतम-गौतम (गणधर) १०।१।१३, घिव-क्षिप् इत्यर्थे देशी (धातुः) ४।७।२, ५।४।११ १०।२।१-५-१० घुरु-(ध्वन्यात्मक ) घुरघुराना ३।२६।११ गोरि-पार्वती ३।२२।७ घुलंत-घूर्णत् ४।२०११ गंग-गंगा ( नदी) २७५, ३।२२।७, १०।६।१ घोरंधार-घोरान्धकार ५।२२।४ गंगापवाह-गंगाप्रवाह १।९।४ घोलंत-घूर्ण + शतृ २।२१।४ गंड-गण्ड (गाल) ९।९।१ घंघल-दंगल ४।३।१० गंडस्थल-गण्डस्थल २।२।११ गंडयल-ाण्डस्थल ९।२।१३ गंधउइ--गन्धकुटि ४।१७।८ चउ-चतुः १।१३।२ गंधगए-गन्धगज ४।१७१८ चउक्क-चतुष्क (चौक) ४।४।२ गंधरय-गन्धरज १।१२।११ चउणिकाय-चतुनिकाय ( देव ) ९।१२।५ गंधवह-गन्धवह ( वायु) ११७२ चउद्दसि-चतुर्दस ( चउदस ) १०॥४०॥१२ गंधु-घ्राणेन्द्रिय १०८५ चउदह-रयण-चौदह रत्न २१३॥१ गंभीरणाय-गम्भीरन्यास १।१६।६ चउदिसु-चतुर्दिक २।११७ गंभीरतूर-गम्भीरतूर्य १।१०८ चउभेय-चतुर्भेद १०८।१४ गंभीरा रव-गम्भीररव २।१२।४ चउरंग-बलं-चतुरंगिणी सेना २।१४।४ गंभीरि-गम्भीर १।२।८, १।५।५ चउविहगइ-चतुर्विधि गति १११११५ [च] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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