Book Title: Vaddhmanchariu
Author(s): Vibuha Sirihar, Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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३०६
वड्डमाणचरिउ अणिट्टि-अनिष्ट ( कारी)
४।१२१५ अद्धविमीसिय-अर्धविमिश्रित १०१४।१२ अणिट्ठिय-अनिष्ठित, अकृत्रिम १०।१३।१३ अद्धि-अद्रि, पर्वत
८।१०।४, ३।५।११ अणिठ्ठ-अनिष्टकारी ___३३१७९ अधम्म-अधर्म
१०॥३९।३ अणिवढिवंत-अऋद्धिवन्त १०।१९।७ असिउ-अदूषित
२।१११७ अणिमाइय-अणिमादिक गुण २।११।३, १०।३३।१।
३।५।११ अणिमिस-अनिमिष ( मत्स्य ) १०।१०।६ अप्पज्जत्ता-अपर्याप्तिक ( जीव ) १०५।१२ अणियट्टि-अनिवृत्तिकरण ( गुणस्थान ) १०।३६१८ अप्पमत्तु-अप्रमत्तविरत ( गुणस्थान ) १०३६।७ अणिवार-अनिर्वार ४।२।११, ५।२२।७ अप्पसण्णु-अप्रसन्न
३।१६।२ अणिहण-अनिधन
१०॥३६।१३ अप्पसत्त-आत्मसत्त्व, आत्माभिमानी ५।११४ अणीइ-अनीति ३।१।१३ अप्पसमाण-आत्मसदृश
२।११।१ अणु-अन्य
१२५११ अप्पाइत्तउ-आत्माधिकृत, अपने पर अणुकूल-अनुकूल १।११।१०
अधिकार ४।२४।१३ अणुणय-अनुनय ( विनयपूर्वक ) ४।१५।१२ अप्पाणउ-अपने
१।१०।१० अणुदिणु-अनुदिन ( दिन-प्रति-दिन )
अप्पिवि-अर्पित
११२।१ ११।१०, २०२१७ अपास-अस्पृष्ट ।
१११११४ अणुदिस-अनुदिश ( देव ) १०३४।१४ अप्पेवि-अपित कर
१।१६।१ अणुरत्त-अनुरक्त २।१६।७. अब्भ-अभ्र
९।१०।१६ अणुरञ्ज-अनुरञ्जन । २।१७ अब्भंतर-आभ्यन्तर
६।१५।८ अणुव-अनुज ३।५।२ अभय-अभय
९।१५।४ अणुवम-अनुपमरूप २।१६।३ अभयदाणु-अभयदान
३।१६।१ अणुवय-अणुव्रत ६।१६।९ अभवियवि-अभव्य
१०.२०१६ अणुवेक्ख-अनुप्रेक्षा १।१४।१ अभिज्ज-अभेद्य
५।१५।५ अणुसर-अनुसरण २।९।१० अभीओ-निर्भीक
४।५।१ अणंगदाह-अनंगदाह १।१।१४ अभीरु-अभीर, शूरवीर
९।६।१४ अणंत-अनन्तनाथ १११११९ अभीस-निर्भय
४/३१२ अणंतणाण-अनन्तज्ञान १।१।१० अम्हहँ-हमारे
२११८ अणंतवीरिउ-अनन्तवीर्य ९।१४।१३ अम्हेत्थ-हमारे लिए
६।१७८ अणंतु-अनन्त १०१३९८ अमयासण-अमृताशन
१०।२२।५ अणिद-अनिन्द्य २।९।१३ अमरगिरि-सुमेरु पर्वत
७।११३, अत्थइरि-अस्ताचल ९।२०।४
१०।१६५ अस्थि-अस्थि १०॥३२।५ अमल-अ+मल = यथार्थरूपमें
१०।३।३ अस्थिकाय-अस्तिकाय ८।१०।२ अमरालय-स्वर्ग लोक
१०१३०७ अतित्तु-अतृप्त ५।४।१२ अमरालय-सुमेरुपर्वत
७।९।२ अतीउ-अतीत १०१३६१९ अमरिष-अमर्ष
३।१५।३ अधु-अधु-आधा-आधा । १०॥३२॥१३ अमरु-देव
२।१९।१२ अद्ध इंदु-अर्धचन्द्र ३।६।१० अमलकित्ति-अ+मल कोति
४।१२।१३ अद्धचक्कि-अर्द्धचक्री
३।१९।७ अमियकित्ति-अमितकीर्ति ( मुनिराज ) २८१३, अद्धमियंक-अर्द्धमृगांक ( बाण ) ५।१७।१७
२८।११
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