Book Title: Vaddhmanchariu
Author(s): Vibuha Sirihar, Rajaram Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 408
________________ शब्दानुक्रमणिका [अ] अछरिउ-आश्चर्य ११५.१० अइ-अति १।१०।११, २।५।२२ अज्ज-आज २।२१।६ अइक्कम-अतिक्रम ५।२।८ अज्ज-अज्ज-आर्य-अनार्य (मनुष्य) १०।१९।४ अइमुत्तय-अतिमुक्तक (नामकी श्मशानभूमि) अज्जिय-आर्यिकाएं १०११३ ९।२१।१६ अजयर-अजगर १०८।१५ अइर-अचिर श२।११,८।१५।१२ अजरामर-अजर-अमर ३।५।५ अइरावय-ऐरावत (हाथी) ८।२।११,९।६।१३ अजिय-अजित १११३ अक्ककित्ति-अर्ककीर्ति (विद्याधर) ३।३०।६,४।२।५, अजिय-अजितनाथ (तीर्थकर) १११३ ५।८।११:५।१८।१३,६।९८ अजीउ-अजीवद्रव्य १०३९॥२ अक्ख-अक्षजीव (द्वीन्द्रियभेद) १०।८।१ अजुत्त-अयुक्त ५।३।११ अकित्तिम-अकृत्रिम . ४।१३१६ अजेए-अजेय २।२।३ अकुसल-अकुशल ४।१२।४ अजोइ-अयोगी-जिन नामक गुणस्थान १०॥३६।१० अकूवार-अकृत+वारि-समुद्र ८।१०।४ अट्टझाण-आर्तध्यान १०।१३।५ अकोह-अक्रोध ८।१०।१० अट्ठद्ध-अष्टाध (आठका आधा चार) १०१९।१३ अकंपण-अकम्पन (विद्याधर हयग्रीवका अट्ठद्धकरण-चतुरिन्द्रिय जीव १०।९।१३ योद्धा) ४।६।११ अट्ठपयार-अष्टप्रकार ३।२३।९ अग्गिकुमार-अग्निकुमार(देव) १०४०।१६ अड्डवि-अटवी ३।२१।४,४॥२३२ अग्गिभूइ-अग्निभूति (विप्र) २।१७।१३ अण्णइं-अन्नादि ८।५।११ अग्गिमित्तु-अग्निमित्र (विप्र) २।१८।१३ अण्णु-अन्य १४१६४१२ अग्गिसिहु-अग्निशिख (विप्र) .. २।१८।४ अण-नहीं १०११११२ अगणिय-अगणित ११३८,२।१०।३ अणग्घमणी-अनयमणि ३।२३।१२ अगरु-चन्दन ४।२२।१२ अणत्थ-अनर्थ ५।१२।९ अगाहु-अगाध २।३।६ अणरइ-रतिरहित २।२०१६ अच्चरिउ-आश्चर्य २।२।६,३।१४।२ अणल-अग्निकुमारदेव १०१२९७ अच्चुव-अच्युत स्वर्ग १०१२०१३,१०१३३१४ । अणवरय-अनवरत १।१२।१०,५।१२।३ अच्चंत-अत्यन्त ५।१५।४ अणवरयदाण-अनवरतदान ५।१८१८ अच्चंतगूढ-अत्यन्त गूढ़ ५।२१।१ अणाइ-अनादि १११४।१२, १०॥३८१ अच्छ-/आस्इ (हेम) ४।१२।१५,१।१६।८ अणागारिउ-अनगार ७६६ अच्छर-अप्सरा २।१७।११ अणाह-अनघ ( निष्पाप ) ९।१४।४ अच्छि -अक्षि (नेत्र) १०।२५।२५ अणिच्च-अनित्य (अनित्यानुप्रेक्षा) १३१४१ अचित्त-अचित्त (जन्मयोनि) १०।१२।५ अणिज्जिउ-अनिर्जित २।६।६,४।५।५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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