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हिन्दी अनुवाद
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रानी प्रियकारिणी द्वारा रात्रिके अन्तिम प्रहरमें सोलह स्वप्नोंका दर्शन महाधनपति-कुबेर अपने मनकी भ्रान्तिको तोड़कर तथा भक्तिपूर्वक नमस्कार कर साढ़े तीन करोड़ श्रेष्ठ मणिगणोंसे युक्त निधि कलश हाथमें लेकर गगनरूपी आँगनसे (कुण्डपुरमें) उस समय तक बरसाता रहा, जबतक कि छह मास पूरे न हो गये। महान् सुखदायक उत्तम हंसके समान शुभ्र रुईके बने हुए गद्देपर लोगोंके लिए दुर्लभ सुखों-पूर्वक सोती हुई, परचित्तापहारी, सिद्धार्थकी उस नारी-प्रियकारिणीने रात्रिके अन्तिम प्रहरमें, मनके लिए अति सुन्दर, ५ सुखद एवं उत्तम स्वप्नोंको विपरीत ज्ञानसे रहित होकर क्रमशः ( इस प्रकार ) देखे-(१) चन्द्राभ देहवाला ऐरावत हाथी, (२) धीरातिधीर धवल, (३) अधीर-शूरवीर मृगपति, (४) अम्भोजकमलधामवाली ललाम–सुन्दर लक्ष्मी, (५) अलिकुलसे मनोहर शैलीन्ध्र-पुष्पमाला, (६) भगणोंमें प्रधान पूर्णमासीका चन्द्रमा, (७) किरणोंसे दीप्त बाल सूर्य, (८) निर्मल जलमें हर्षसे क्रीडा करती हुई मीन, (९) जलसे परिपूर्ण कनक कलश, (१०) विशाल सरोवर, (११) सुन्दर सागर, (१२) १० रत्नोंसे घटित सिंहपीठ, (१३) मणियोंसे भासमान सुरपति-विमान, (१४) फहराती हुई केतुओंसे युक्त फणिपति निकेत, (१५) उत्तम किरणोंसे देदीप्यमान मणि-समूह तथा (१६) दिशाओंको उज्ज्वल बना देनेवाला अग्निशिखर-समूह ।
___घत्ता-उन स्वप्नोंको देवी प्रियकारिणीने जिनपद ( कुण्डपुर ) के हृदयभूत अपने प्रियतम राजा सिद्धार्थको (यथाक्रम) कह सुनाये । दुर्ग्रह-मिथ्याभिमानको नष्ट करनेवाले उन स्वप्नोंको १५ नकर वह राजा भी हर्षित-गात्र हो गया ॥१७६॥
श्रावण शुक्ल षष्ठीको प्रियकारिणीका गर्भ-कल्याणक प्रियकारिणी द्वारा स्वप्नावलि सुनकर सम्मुख विराजमान राजा सिद्धार्थ अत्यन्त संप्रहृष्ट (सन्तुष्ट ) हुए तथा उन्होंने उस देवीको उन (स्वप्नों) का फल (इस प्रकार ) बताया"(१) गजेन्द्र के देखनेसे पापोंको ( सर्वथा) धो डालनेवाला पुत्र उत्पन्न होगा, (२) वृषभके दर्शनसे वह शुभ कार्योंका अभ्यासी तथा सौम्य स्वभावी होगा, (३) मृगेन्द्रके देखनेसे वह (पुत्र) महाविक्रमी तथा (४) लक्ष्मीके दर्शनसे वह समस्त प्राणियोंका प्रिय पात्र बनेगा, (५) महासुगन्धित ५ पुष्पमाला-युगलके दर्शनोंसे वह यशका आलय तथा (६) निशीश-चन्द्रमाके दर्शनसे वह मोक्षावलीका महान् स्वामी बनेगा। (७) दिनेन्द्र-सूर्यके दर्शनसे वह भव्य रूपी कमलोंका
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