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विषयानुक्रम
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कडवक सं.
मूल/हिन्दी अनु. ३. विजय हयग्रीवके दूतको डाँटता है.
११२-११३ विजय हयग्रीवके असंगत सिद्धान्तोंकी तीव्र भर्त्सना करता है.
११४-११५ हयग्रीवका दूत त्रिपृष्ठको समझाता है.
११४-११५ हयग्रीवके पराक्रमकी चुनौती स्वीकार कर त्रिपृष्ठ अपनी सेनाको युद्ध करनेका आदेश देता है.
- ११६-११७ सैन्य-समदाय अस्त्र-शस्त्रोंसे ससज्जित होकर अपने स्वामी त्रिपष्ठके सम्मुख उपस्थित हो गये. ११८-११९ राजा प्रजापति,ज्वलनजटी, अर्ककीर्ति और विजय युद्धक्षेत्रमें पहुँचने के लिए तैयारी करते हैं. ११८-११९ त्रिपष्ठ अपनी अवलोकिनी विद्या द्वारा शत्रु-सैन्यकी शक्तिका निरीक्षण एवं परीक्षण करता है.
१२०-१२१ त्रिपृष्ठ और हयग्रीवकी सेनाओंका युद्ध आरम्भ.
१२२-१२३ ११. दोनों सेनाओंका घमासान युद्ध-वन्दीजनोंने मृतक नरनाथोंकी सूची तैयार करने हेतु उनके कुल और नामोंका पता लगाना प्रारम्भ किया.
१२२-१२३ तुमुल युद्ध-अपने सेनापतिको आज्ञाके बिना घायल योद्धा मरनेको भी तैयार न थे. १२४-१२५ तुमुल युद्ध-घायल योद्धाओंके मुखसे हुआ रक्तवमन ऐन्द्रजालिक विद्याके समान प्रतीत होता था.
१२४-१२५ १४. तुमुल युद्ध-आपत्ति भी उपकारका कारण बन जाती है.
१२६-१२७ तुमुल युद्ध-राक्षसगण रुधिरासव पान कर कबन्धोंके साथ नाचने लगते हैं.
१२८-१२९ १६. तुमल युद्ध-अश्वग्रीवके मन्त्री हरिविश्वके शर-सन्धानके चमत्कार. वे त्रिपृष्ठको घेर लेते हैं.
१२८-१२९ तुमुल युद्ध-हरिविश्व और भीमकी भिड़न्त.
१३०-१३१ तुमुल युद्ध-अर्ककोतिने हयग्रीवको बुरी तरह घायल कर दिया.
१३२-१३३ १९. तुमुल युद्ध-हरिविश्व और भीमकी भिड़न्त.
१३२-१३३ तुमुल युद्ध-ज्वलनजटी, विजय और त्रिपृष्ठका अपने प्रतिपक्षी शशिशेखर, चित्रांगद, नीलरथ और हयग्रीवके साथ भीषण युद्ध.
१३४-१३५ २१. तुमुल युद्ध-युद्धक्षेत्रमें हयग्रीव त्रिपृष्ठके सम्मुख आता है.
१३६-१३७ २२. तुमुल युद्ध-त्रिपृष्ठ एवं हयग्रीवको शक्ति-परीक्षा.
१३६-१३७ २३. तुमुल युद्ध-त्रिपृष्ठ द्वारा हयग्रीवका वध.
१३८-१३९ पाँचवीं सन्धि समाप्त.
१३८-१३९ आशीर्वचन.
१३८-१३९ सन्धि ६ १. मगधदेव, वरतनु व प्रभासदेवको सिद्ध कर त्रिपृष्ठ तीनों खण्डोंको वशमें करके पोदनपुर लौट आता है.
१४०-१४१ पोदनपुर नरेश प्रजापति द्वारा विद्याधर राजा ज्वलनजटी आदि की भावभीनी विदाई तथा त्रिपृष्ठका राज्याभिषेक कर उसकी स्वयं ही धर्मपालनमें प्रवृत्ति.
१४०-१४१ ३. त्रिपृष्ठ व स्वयंप्रभाको सन्तान-प्राप्ति.
१४२-१४३
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