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तीर्थकर पार्श्वनाथ की प्रतिमाएँ : ११७
स्थानीय संग्रहालय में संरक्षित हैं। प्रस्तुत आलेख में यहां रखी पार्श्वनाथ की तीन पाषाण प्रतिमाओं का विवरण प्रस्तुत है :
१. पार्श्वनाथ प्रतिमा .
माप - ८० x ३० x १७ सेंटीमीटर, माध्यम - बेमालाइट, प्राप्ति स्थल - टिमरानी, समय - लगभग १२वीं - १३वीं शताब्दी।
यह प्रतिमा खड़गासन में है। दोनों हाथ कोहनी से खण्डित है। पैर भी खण्डित है। प्रतिमा के दोनों ओर लघु प्रतिमाओं का अंकन है। पादपीठ पर दोनों ओर दो प्रतिमाओं का अंकन है। प्रतिमा की पादपीठ पर तीन पंक्तियों में शिलालेख भी अंकित हैं। दोनों ओर लघु प्रतिमा का अंकन है।
२. पार्श्वनाथ प्रतिमा -
माप - ३० x ५४x ३३ सेंटीमीटर, माध्यम - बेमालाइट, प्राप्ति स्थल - सनखेड़ा, समय - लगभग ११वी - १२वीं शताब्दी।
पार्श्वनाथ की यह प्रतिमा ध्यानमुद्रा में है। वक्ष पर श्रीवत्स-चिन्ह का अंकन है। मस्तक के पीछे सात फणों के सर्प का अंकन है। प्रतिमा की पादपीठ पर देवनागरी लिपि में लेख का अंकन है।
३. पार्श्वनाथ प्रतिमा -
माप - ९० x ३४ x २३ सेंटीमीटर, माध्यम - लाल बलुआ पत्थर, प्राप्ति स्थल - सोहागपुर, समय - लगभग ११वीं - १२वीं शताब्दी।
प्रतिमा खड़गासन मुद्रा में है। सबसे ऊपर त्रिछत्र है, जो भग्न है। उसके दोनों ओर गन्धर्व अंकित हैं, जो भग्न हैं। मस्तक के पीछे सात फण युक्त सर्प है, जिसके बायीं ओर चंवरधारी विशिष्ट मुद्रा में प्रदर्शित है। चंवरधारी का मुख भग्न है। नीचे से पैर व पादपीठ भी खण्डित है। प्रतिमा के दोनों ओर नाग का भाग खण्डित है। सन्दर्भ : १. होशंगाबाद डिस्ट्रिक्ट गजेटियर। २. इन्दुमति मिश्रा - प्रतिमा विज्ञान, भोपाल १९७२ ई०। ३. डॉ० मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी - जैन प्रतिमा विज्ञान, वाराणसी १९८१ ई०। ४. अमलानन्द घोष (सम्पादक) जैन कला एवं स्थापत्य, दिल्ली १९७५ ई०। ५. बालचन्द्र जैन - जैन प्रतिमा विज्ञान, जबलपुर १९७४ ई०।
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