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छाया:
अपहसित त्रिदश-सुंदरीरूपातिशया पतिव्रता दक्षा ।
भार्या मनोरमा नाम्नी तस्य च 'प्राणप्रियाऽत्यन्तम् ||१७६॥ अर्थ :- पोताना अतिसुंदर रूपवड़े अप्सराओना पण रूपनो उपहास करनारी पतिव्रता, चतुर, मनोरमा नामनी ते शेठनी अत्यंत प्राणप्रिया भार्या हती।। हिन्दी अनुवाद :- अपने अतिसुन्दर रूप से अप्सराओं के भी रूप को तिरस्कृत करनेवाली चतुरा, पतिव्रता मनोरमा नाम की स्त्री शेठ की अत्यंत प्राणप्रिया भार्या थी। गाहा:
पुत्ररत्ननी प्राप्ति ताण ति-वग्ग-सारं विसय-सहं सम्ममणहवंताणं ।
निय-कुल मंडण भूओ, जाओ अह दारओ एक्को ।।१७७।। छाया:
तयोः त्रिवर्गसारं विषयसुखं सम्यगनुभवतः ।
निजकुलमण्डनभूतो जातोऽथ दारक एकः ||१७७॥ अर्थ :- त्रण वर्गनां साररूप विषयसुखने सारी रीते अनुभवतां तेणीने पोतानां कुलमां आभूषण समान एक पुत्र रत्ननो जन्म थयो। हिन्दी अनुवाद :- तीन वर्ग के साररूप विषयसुख भोगते हुए उनको अपने कुल में आभूषण तुल्य एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। गाहा :
वत्ते य बारसाहे अम्मा-पीईहिं नियय कुल-विहिणा। धणदेवोत्ति य सम्मं नामं निव्वत्तियं तस्स ।।१७८।।
छाया:
वृत्ते च द्वादशादिन अम्बापितृभ्यां निजकं कुल-विधिना ।
धनदेव इति च सम्यग् नाम निवर्तितं तस्य ।।१७८॥ अर्थ :- बार दिवस थये छते मातापिताए पोतानां कुळनी विधिपूर्वक ते पुत्रनुं 'धनदेव' ए प्रमाणे योग्य नाम राख्यु। हिन्दी अनुवाद :- बारह दिन होने पर मात-पिता ने अपने कुल की विधि के अनुसार उस पुत्र का 'धनदेव' नाम रखा। गाहा :- अह पंच-धाइ-कय-विविह-लालणो दारओ स वड्ढेतो ।
पत्तो कुमार-भावं माउ-पिऊणं कयाणंदो ॥१७९।। छाया:
अथ पञ्चधात्रीकृत विविध-लालनो दारकः स वर्धमानः ।
प्राप्तः कुमारभावं मातृपित्रोः कृतानन्दो ||१७९॥ अर्थ :- पांच धावमाता वड़े विविध प्रकारे करायेला लालन-पालनवालो, वृद्धि पामतो, माता-पिताने आपेला आनंदवाळो ते बालक कुमार भावने पाम्यो।
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