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गाहा:
देवशर्मानु बालकने लईने भागवु । इय तेसिं सोऊणं भणियं भय-वेविरो दढं जाओ ।
सुत्तेसु तेसु धेत्तुं जयसेणं ताहि नट्ठो हं ॥२०१॥ छाया :
इति तयोः श्रुत्वा भणितं भय-वेपनशीलः दृठं जातः ।
सप्तयोस्तयो गेंहीत्वा जयसेनं ताभ्यां नष्टोऽहम् ।।२०१॥ अर्थ :- आ प्रमाणे तेओनी वातो सांभळीने भयथी कंपित थयेलो हुं स्तब्ध थइ गयो अने तेओ बल्ले सुते छते जयसेनने लईने हुं त्यांथी नाठो (भागी गयो) हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार उनकी बात सुनकर भय से कंपित होता हुआ मैं स्तब्ध हो गया
और उन दोनों के सो जाने पर जयसेन को लेकर मैं वहाँ से भाग गया। गाहा :- योगीपुरुष द्वारा बनेने बंधन-देवशर्मानी उद्यानमां मुक्ति
कहकहवि हु नासंतो गवेसमाणेहिं तेहिं हं पत्तो । . बंधित्तु तओ वसभे समारुहेत्ता इहाणीओ ।।२०२॥
छाया:
कथं कथमपि खलु नश्यन्, गवेषयमाणाभ्यां ताभ्यामहं प्राप्तः।
बद्धवा ततः वृषभं समारुह्य इहानीतः ॥२०२।। अर्थ :- गमे तेम नाशतां एवा मारी शोध करतां तेओ वड़े हुं प्राप्त करायो अने बांधीने बळद उपर आरूढ करीने अहीं लवायो। 'हिन्दी अनुवाद :- किसी प्रकार भागता हुआ मैं उनके द्वारा पकड़ा गया और रस्सी से बांधकर बैल पर बिठाकर मैं यहाँ लाया गया। गाहा :
अज्ज पुणो इह नयरे संपत्तो सत्तमाउ दिवसाउ । तन्हा-छुहाभिभूओ मुक्को हं एत्थ उज्जाणे ।।२०३।।
छाया:
अध पुनरिह नगरं सम्प्राप्तः सप्तमात् दिवसात् । तृष्णा-क्षुधाभिभूतो
मुक्तोऽहमत्रोधाने ॥२०३।। अर्थ :- वळी आजे आ नगरमां अमे सात दिवस पछी आव्या अने भूख-तरसथी पीड़ातो हुं आ उद्यान भां मूकायेलो छु..... हिन्दी अनुवाद :- आज इस नगर में हम सात दिन के बाद आये और भूख-तृषा से पीड़ित मैं इस उद्यान में रखा गया हूँ। गाहा :
धनदेव पासे बालक रक्षानी मांगणी ता भद्द ! इमं गुरु-सोय-कारणं साहियं मए तुम्ह ।
जइ अत्थि कावि सत्ती ता रक्खह बालयं तं तु ।।२०४।। छाया:
तस्मात् भद्र ! इदं गुरु-शोककारणं कथितं मया तुभ्यम्। यद्यस्ति कापि शक्तिस्तद् रक्षत बालकं तं तु ॥२०४॥
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