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छाया :
ततो राज्ञा भणितं कीदृशकं चित्रकौशलं तव ?
दर्शय तावद् मह्यमालिखितं किंचिद् वररूपम् ।।४७॥ अर्थ :- राजार कहयु, तारी चित्रकला केवा प्रकारनी छे ? ते कोइ श्रेष्ठरूपवाळु चित्र बनाव्यु होय तो ते मने बताव। हिन्दी अनुवाद :- राजा ने कहा - "तेरी चित्रकला किस प्रकार की है ? यदि कोई श्रेष्ठ रूपवाला चित्र हो तो मुझे दिखलाओ।" गाहा :
चित्रकार वड़े चित्र दर्शन अह तेण कक्ख-देसम्मि गोविया चित्त-पट्टिया सहसा । पयडीकाउं रणो समप्पिया हिट्ठ-वयणेण ।।८८।।
छाया:
अथ तेन कक्षदेशे गोपिता चित्रपट्टिका सहसा ।
प्रकटीकृत्य राज्ञे समर्पिता हृष्ट-वदनेन ।।८८॥ अर्थ :- त्यारे तेणे पोतानी बगलमां छूपावी राखेली चित्र-पट्टीका तरत ज बहार काठीने प्रसन्ल मुखे राजाने समर्पित की। हिन्दी अनुवाद :- तब उन्होंने बगल में छुपाई हुई चित्र-पट्टिका तुरंत ही निकालकर प्रसन्न मुख से राजा को समर्पित की। गाहा :
चित्रनी विशेषता पसरंत-पयड-पुलओ राया पुलोएइ तत्थ आलिहियं । नाणा-वनय-कलियं पमाण-रेहाहिं सुविसुद्धं ।।८९।। अहिणव-जोव्वण-वर-रूव-जुत्तमच्चंत-मणहरागारं । अहिणव-सिहिणारंभं कण्णाए रूवयं पवरं ।।१०।। -युग्मम्
छाया:
प्रसरत्-प्रकटपुलको-राजा प्रलोकयति तत्रालिखितम् । नानावर्णक कलितं प्रमाण-रेखाभिः सुविशुद्धम् ।।८९।। अभिनव-यौवन-वररूप-युक्तमत्यन्तमनोहराकारम् । .
अभिनव-स्तनारंभं' कन्याया: रूपकं प्रवरम् ॥९०।। अर्थ :- जुदा-जुदा रंगथी युक्त, प्रमाण रेखाओथी सुविशुद्ध, नवा यौवनथी तथा श्रेष्ठ रूपवड़े युक्त, अत्यंत मनोहर आकारवाळु नवा स्तनना आरंभवाळु कन्यानुं श्रेष्ठ रूप फेलायेला प्रकट (रोमांच) कंचुकवाळो राजा ते चित्रमा आलेखेळु जुवे छे। हिन्दी अनुवाद :- रंग-बिरंगे रंगों से युक्त, प्रमाण युक्त रेखाओं से सुविशुद्ध, नूतन यौवन तथा श्रेष्ठ रूपवान्, अत्यंत मनोहर देहाकारवाली नूतन स्तनारंभयुक्त कन्या का श्रेष्ठ रूप, जो चित्रपट्टिका में चित्रित किया हुआ था, उस चित्र को रोमाञ्चित राजा देखता है। गाहा :
तं दटुं नर-नाहो चिंतइ एसो हु चित्त-कम्मम्मि । अइकुसलो जं लिहियं अउव्व-रूवं इमं रूवं ।।११।।
१. सिहिण-दे
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