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हिन्दी अनुवाद :- "हे नरनाथ ! मेरे स्वामी का इच्छित आज पूर्ण हुआ यह सोचकर और ज्योतिषी के वचन सत्य होने से मुझे हर्ष हुआ।" गाहा :
एएण कारणेणं मुच्छाए तुम्ह हरिसिओ अहयं । ता मा नरिंद! अन्नह-भावेण वियप्पसु ममंति ।।१५९।।
छाया:
एतेन कारणेन मूर्च्छया तव हर्षितोऽहम् ।
तस्माद् मा नरेन्द्र ! अन्यथाभावेन विकल्पस्व मामिति ॥१५९।। अर्थ :- हे नरेन्द्र ! आ कारणथी तमारी मूर्छा वड़े हुं हर्षित थयो छु तेथी तमें मारा विषयमां बीजा कोई विकल्प न करशो। हिन्दी अनुवाद :- "हे नरेन्द्र ! इस कारण से आपकी मूर्छा से मैं हर्षित हुआ हूँ अत: आप मेरे विषय में अन्य कोई विकल्प मत करना।" गाहा :-
चित्रसेननुं सांभळीने अमरकेतुर्नु कथन इइ चित्तसेण-वयणं सोऊणं विगय-अन्न-आसंको।
वज्जरइ . अमरकेऊ विम्हइओ चित्त-रूवेण ।।१६०।। छाया:
इति चित्रसेन-वचनं श्रुत्वा विगतान्यारोपः । । कथयति अमरकेतुः विस्मितः चित्र-रूपेण ।।१६०॥ अर्थ :- आ प्रमाणे चित्रसेननां वचनने सांभळीने निशंक पणे राजा अमरकेतु चित्रमा रहेला रूपथी विस्मीत थयेलो बोल्यो। हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार चित्रसेन के वचन सुनकर निःशंकित अमरकेतु राजा चित्र से आलिखित रूप से विस्मित होता हुआ बोला। गाहा :
किं तीए कन्नाए एरिसयं अस्थि रूव-सोहग्गं ? ।
ता भणइ चित्तसेणो निमेसमेत्तं इमं लिहियं ।।१६१।। छाया :
किं तस्याः कन्याया ईदृशम् अस्ति रूप-सौभाग्यम् ।
तद्-भणति चित्रसेनो निमेषमात्र इदं लिखितम् ।।१६१॥ अर्थ :- “ते कन्यानुं आवा प्रकारचं रूप सौभाग्य शुं खरेखर छे ?" त्यारे चित्रसेने का, “आ तो अंश मात्र चित्रमा आलेख्यु छे।" हिन्दी अनुवाद :- "इस कन्या का ऐसा रूप सौभाग्य क्या ऐसा ही है ?" तब चित्रसेन ने कहा"यह तो अंश मात्र ही चित्र में चित्रित है।" गाहा :
को सक्कड कसलोवि ह जहट्टियं तीए राय-कन्नाए । निज्जिय-तियस-विलासिणि-रूवं रूवं समालिहिउं ? ।।१६२।।
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