Book Title: Sramana 2004 01
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 255
________________ गाहा : हिन्दी अनुवाद :- राजा से अनुज्ञा प्राप्त कर चित्रकार कुशाग्रनगर पहुंचा और नरवाहन राजा को सम्पूर्ण वृत्तान्त कहा - कमलावतीनुं प्रस्थान अह तेणवि निय-भगिणी पभूय-धण-परियणेण परियरिया । पट्टविया हिटेणं सयंवरा अमरकेउस्स ।।१६६।। छाया : अथ तेनापि निज-भगिनी प्रभूत-धन-परिजनेन परिवृता ? प्रस्थापिता हृष्टेन स्वयंवराऽमरकेतवे ||१६६॥ अर्थ :- हवे खुश थयेला ते राजाए पण स्वयंवरा पोतानी बहेनने पुष्कळ घन अने परिजनोथी परिवरेली अमरकेतु राजा पासे मोकली। हिन्दी अनुवाद :- "अब हर्षान्वित राजा ने भी अपनी स्वयंवरा बहन को विपुल धन और परिजनों से परिवृत्त अमरकेतु राजा के पास भेजी। गाहा : सिरिकताइ-सहि-जणं आभासित्ता .य सयल-परिवारं । कमलावईवि चलिया हरिस-विसायाउरा . हियए ॥१६७।। छाया : श्रीकान्तादि-सखिजनमाभाष्य च सकल-परिवारम् । कमलावत्यपि चलिता हर्ष-विशदातुरा हृदये ॥१६७॥ अर्थ :- श्रीकान्ता आदि पोतानां सखीजनोने अने सकल परिवारने कहीने कमलावती पण हर्ष अने विशादथी आतुर थयेली चाली। हिन्दी अनुवाद :- श्रीकान्ता आदि अपने सखीजनों को और सकल परिवार को कहकर कमलावती भी हर्ष और विषादयुक्त वहां से चली। गाहा : इच्छिय-वर-लाभेणं साणंदा तहय बंधु-विरहेणं । किंचि-ससोगा पत्ता कमेण सा हथिणपुरम्मि ॥१६८।। छाया : इष्ट-वर-लाभेन सानंदा तथा च बन्धुविरहेण । किञ्चित-सशोका प्राप्ता कमेण सा हस्तिनापुरम् ।।१६८|| अर्थ :- इच्छित वरना लाभ वड़े आनन्दवाळी तथा भाइना विरहथी कंडक शोकयुक्त ते कमलावती क्रमे करीने हस्तिनापुर नगरमां पंहोची। हिन्दी अनुवाद :- इच्छित पति के लाभ से आनन्दित तथा भाई के विरह से किञ्चित् शोकयुक्त वह कमलावती क्रम से हस्तिनापुर नगर पहुंची। लाहा : कमलावतीना विवाह महया विच्छड्डेणं सोहण-लग्गम्मि गुरु-पमोएणं । कमलाबई उ रत्रा परिणीया खत्त-कुल-विहिणा ।।१६९।। 49 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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