________________
छाया :
तस्मात्तेषामेक-वरणे शेषाः सर्वेऽपि शत्रवो भवन्ति ।
न
च शक्याः संग्रामे जेतुं सर्वेऽप्येकेन ॥१३०॥ अर्थ :- तेथी तेओमांथी एकने वरवामां बीजा राजाओ शत्रु बनी जाय व्यारे कला हा बधाने युद्धमां जीतवं शक्य न बने।
हिन्दी अनुवाद :- अतः उन सबमें से एक के साथ विवाह करने में दूसरे राजा शत्रु बनकर आएं तब अकेले सभी को युद्ध में जीतना शक्य नहीं है।
गाहा :
छाया :
ता अलमिमिणा नर-वर ! विग्गह मूलेणणत्थ- बहुलेण । कमलावई - सयंवर - करणेण
एत्थ
तस्मादलमनेन नरवर ! विग्रह मूलेनानर्थ - बहुलेन । कमलावती स्वयंवर करणेनात्र
अर्थ :- तेथी हे नरश्रेष्ठ ! झघडानुं मूळ अने अनर्थ बहुल एवा आ प्रसंगे कमलावतीना स्वयंवर करवा वड़े सर्यु !
पत्थावे ।।१३१।
हिन्दी अनुवाद :- अतः हे नरश्रेष्ठ ! विग्रह का मूल और अनर्थबहुल ऐसे इस अवसर पर कमलावती का स्वयंवर करना उचित नहीं है।
गाहा :
तत्तो रण्णा भणियं कस्सेसा तरिहि भद्द ! दायव्वा ।
को व इमीए इट्ठों मणस्स इह कह णु नायव्वं ? ।। १३२ । ।
प्रस्तावे || १३१॥
छाया :
कस्मा- एषा तर्हि भद्र ! दातव्या ।
ततो राज्ञा भणितं को वा अस्या इष्टो मनस इति कथं नु ज्ञातव्यम् ॥ १३२ ॥ अर्थ :- व्यारे राजाए कहयुं, “हे भद्र ! तो पछी आ कोने आपवी अने राणीना मनमां कोण इष्ट छे ? ते आपणे केवी रीते जाणवुं ?”
हिन्दी अनुवाद :- तब राजा ने कहा, "हे भद्र ! तो फिर यह किस को देना और इनके मन को कौन इष्ट है ? वह हम कैसे जानेंगे ?
गाहा :
जस्स व तस्स व रन्नो दायव्वा न य मए नियय-भगिणी ।
दिन्ना होइ सुदिन्ना जस्स, इमा तस्स दायव्वा ।। १३३ ।।
Jain Education International
छाया :
यस्मै वा तस्मै वा राज्ञे दातव्या न च मया निजक भगिनी । दत्ता भवति सुदत्ता यस्मा एषा तस्मै दातव्या 11१३३ ॥ अर्थ :- मारा वडे पोतानी बेन जे ते राजाने न आपी शकाय, जेने अपाय ते सारी रीते अपायेली कहेवाय तेने आपवी जोइए।
39
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org