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अर्थ :- हवे राजाए पोतानी बहेनने प्रितीथी पोताना खोळामां बेसाडी तथा तेना सुंदरयौवन अने रूपने जोइने राजा वड़े मन्त्री कहेवायो, “हे मतिसागर! दीक्षा लेती वखते पिताजी वडे मने कहेवायु छे के, बहेनने योग्य स्थानमां आपवी।" हिन्दी अनुवाद :- अब राजा ने अपनी बहन को प्रीति से अपनी गोद में बैठाया तथा उसके सुंदर यौवन और रूप को देखकर उसने मन्त्री से कहा, "हे मतिसागर ! दीक्षा ग्रहण करते समय पिताजी ने मुझसे कहा था कि बहन को योग्य स्थान में देना।" गाहा :-
कमलावतीना वर माटे विचारणा इण्हिं वरस्स उचिया जाया एसत्ति, ता महं कहसु । को अणुरूवो पुरिसो इमिए सुकुल-प्पसूओ य? ||१२४।। मइसागरेण भणियं देवो च्चिय एत्थ जाणए उचियं ।
तत्तो रन्ना भणियं एवं मे फुरई चित्तम्मि ।।१२५।। छाया : .
हदानी वरायोचिता जाता एषेति तस्मात् मह्यं कथय । कोऽनुरूपः पुरुषोऽस्याः सुकुल-प्रसूतश्च ॥१२४॥ गतिसागरेण गणितं देव एवात्र जानात्युचितम् । ततो राता भणितमेवं मे स्फुरति चित्ते ॥१२५॥
- अर्थ :- हमणां आ वरने उचित थइ छे तो तमे मने कहो ? साराकुलमा उत्पन्न थयेलो क्यो पुरुष आने योग्य छे.? त्यारे मतिसागर मंत्रीए कहयु, “आ विषयमां तो आप ज उचित जाणो छो।" त्यारे राजाए आ प्रमाणे कहो, “मने चित्तमां आ प्रमाणे स्फुरणा थाय छे।" हिन्दी अनुवाद :- अभी यह विवाह योग्य हुई है तुम मुझे बताओ? श्रेष्ठकुल वाला कौन सा पुरुष इसके योग्य है ? तब मतिसागर मन्त्री ने कहा - "इस विषय में तो आप ही उचित जानते हो" तब राजा ने इस प्रकार कहा - "मेरा मन इस प्रकार स्फुरित होता है।" गाहा :
स्वयंवर विचारणा । कीरइ सयंवरो इह हक्कारिज्जंतु सव्व-रायाणो ।
जो चेव हियय-इट्ठो तं चेव वरेई जेणेसा ॥१२६।। छाया:
कियते स्वयंवर इहाहयन्तां सर्व-राजानः ।
य एव हृदय-इष्ट-स्तं चैव वृणोति येनैषा ।।१२६।। अर्थ :- स्वयंवर करववो जोइए अने बधा राजाओने अहीं बोलाववा जोइए। जेथी जे हृदयने इष्ट होय तेने आ कमलावती वरे। हिन्दी अनुवाद :- स्वयंवर करके सभी राजाओं को यहाँ बुलाना चाहिए जिससे इन्हें जो हृदयप्रिय होगा उन्हें यह स्वीकारेंगी (वरेंगी)।
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