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अर्थ :- खरेखर कामण करेलु कोइ चित्र तारा वड़े राजाने बतावायु छे। नहि तो राजा मूर्च्छित धये छते तुं केम विकसित मुखवाळो धयो। हिन्दी अनुवाद :- कार्मण किया हुआ यह चित्र तेरे द्वारा राजा को दिखाया गया है, नहीं तो राजा के मूर्च्छित होने पर भी तू विकसित मुखवाला क्यों है ? गाहा :
चित्रकारने आगमनना कारणनी पृच्छा ता कहसु केण रणो वहणत्थं पेसिओ तुमं पावः !? । तो भणइ चित्तसेणो अक्खिस्सं तुम्ह सव्वंपि ।।१०२।।
छाया:
तत् कथय केन राज्ञो वधनार्थं प्रेषितस्त्वं पाप? |
ततो भणति चित्रसेन आख्यास्यामि तुभ्यं सर्वमपि ॥१०२।। अर्थ :- तो पछी हे पापी ! तुं अमने कहे के कया राजा वड़े तुं अमारा राजानो वध करवा माटे मोकलायेलो छे ? त्यारे चित्रसेने कहयु, “हुं तमने सर्व वात कहुं छु। हिन्दी अनुवाद :- "तो फिर हे पापी तू हमको बता कि कौन से राजा द्वारा हमारे स्वामी के वध के लिए तू भेजा गया है?" तब चित्रसेन ने कहा - "मैं तुमसे सब बात कहता हूँ।" गाहा :
रनो अब्भुदयत्थं समागओ न उण दुट्ठ-बुद्धीए ।
एमाइ भणंतोवि हु बद्धो सो राय-पुरिसेहिं ।।१०३।। छाया :
राज्ञोऽभ्युदयार्थ समागतो न पुनो दुष्टबुद्धया ।
एवमादिः. भणन्नपि नूनं बद्धः स राजपुरुषैः ॥१०॥ अर्थ :- राजाना अभ्युदय माटे हुं आव्यो छु पण नहीं के दुष्टबुद्धिथी, आम कहेवा छतां पण राजपुरुषो द्वारा तेने बांधवामां आव्यो ! हिन्दी अनुवाद :- राजा के अभ्युदय के लिए मैं यहां आया हूँ, दुष्ट बुद्धि से नहीं", इस तरह कहने पर भी राजपुरुषों ने उसे बांध लिया। । गाहा :
राजानी स्वस्थता एत्थंतरम्मि राया गय-मुच्छो सत्थ-चेयणो जाओ । अह नरवइणा भणियं मुंचह भो! चित्तगरमेयं ।।१०४।।
छाया:
अत्रान्तरे राजा गत-मूर्छः स्वस्थचेतनो जातः ।
अथ नरपतिना भणितं मुच्यत भो ! चित्रकारमेतम् ।।१०४|| अर्थ :- एटलीवारमा चाली गएली मूर्छावाळा, स्वस्थ चेतनवाळा राजा थया, त्यारपछी राजाए कहयु, “हे सेवको ! आ चित्रकारने बंधनथी मुक्त करो।" हिन्दी अनुवाद :- इतने ही क्षण में दूर हुई मूर्छावाला, स्वस्थ चैतन्यवान् राजा हुआ, तत्पश्चात् राजा ने कहा, “हे सेवकलोग ! इस चित्रकार को बन्धन मुक्त करो।"
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