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१२८ : श्रमण, वर्ष ५५, अंक १-६ / जनवरी- जून २००४
१७. हिन्दी जैन साहित्य का इतिहास ( मरु - गुर्जर ) भाग २, पृष्ठ ४६७ और आगे । १८. जैनगूर्जरकविओ, भाग ३, पृष्ठ १४७-४८।
१९-२०. उपाध्याय श्री लखमीकीरति शिष्य, लखमिवल्लभ मतिसारइ । चोपी करी बार ढाल करि, भवीयणनई उपगारइ || देसाई, जैनगूर्जरकविओ, भाग ४, पृष्ठ ३४८।
२१. सांदूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट द्वारा वि०सं० २०१८ में प्रकाशित।
२२ . वही, प्रस्तावना, पृष्ठ ३४-३६ ।
२३. जैनगूर्जरकविओ भाग ३, पृष्ठ ३७८
२४. वही, भाग २, पृष्ठ ३९५ ।
२५. वही, भाग २, पृष्ठ ३९५।
२६. वही, भाग ४, पृष्ठ १४२-१४४।
२६अ. अमृतलालमगनलाल शाह, संग्रा० एवं संपा० श्रीप्रशस्तिसंग्रह, श्री जैन साहित्य प्रदर्शन, श्री देशविरति धर्माराजक समाज, अहमदाबाद वि०सं०
१९९३, भाग २, प्रशस्ति क्रमांक १०३३, पृष्ठ २७१।
२७. जिनहर्षसूरिग्रन्थावली, प्रस्तावना, पृष्ठ ३६|
२८- २९. वही, पृष्ठ ३५।
३०. जैनगूर्जरकविओ भाग ५, पृष्ठ ३३९।
३१. महोपाध्याय विनयसागर, नंदीश्वरद्वीपपूजा, जयपुर १९९० ई०, पृष्ठ ४।
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