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जैन जगत् : १८१
स्वयंभू पुरस्कार - २००४ हेतु रचनायें आमंत्रित दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी द्वारा संचालित अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर के वर्ष - २००४ के स्वयंभू पुरस्कार के लिए अपभ्रंश से सम्बन्धित विषय पर हिन्दी अथवा अंग्रेजी में लिखित कृतियों की चार प्रतियाँ ३० सितम्बर, २००४ तक आमन्त्रित हैं। इस पुरस्कार में रुपया २१००१/- एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा। ३१ दिसम्बर, २००० से पूर्व प्रकाशित तथा पहले से पुरस्कृत कृतियाँ सम्मिलित नहीं की जायेंगी।
वर्ष २००३ का स्वयंभू पुरस्कार प्रो० प्रेमसुमन जैन, उदयपुर को उनकी कृति कवि विबुध श्रीधरकृत सुकुमालसामिचरिउ पर दिनांक ६ अप्रैल २००४ को श्री महावीरजी में महावीर जयन्ती के वार्षिक मेले के अवसर पर प्रदान किया गया।
नियमावली तथा आवेदन पत्र का प्रारूप प्राप्त करने के लिए अकादमी कार्यालय, दिगम्बर जैन नसियाँ भट्टारकजी, सवाई रामसिंह रोड, जयपुर ३०२ ००४ से पत्र व्यवहार करें।
महावीर पुरस्कार वर्ष २००४ एवं ब्र० पूरणचन्द रिद्धिलता __लुहाड़िया पुरस्कार २००४ हेतु रचनायें आमंत्रित
प्रबन्धकारिणी कमेटी, दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी द्वारा संचालित जैनविद्या संस्थान, श्री महावीरजी के वर्ष-२००४ के महावीर पुरस्कार के लिए जैनधर्म, दर्शन, इतिहास, साहित्य, संस्कृति आदि से संबंधित किसी भी विषय की पुस्तक/शोध प्रबन्ध की चार प्रतियाँ दिनांक ३० सितम्बर २००४ तक आमन्त्रित हैं। इस पुरस्कार में प्रथम स्थान प्राप्त कृति को रुपया २१००१/- एवं प्रशस्ति पत्र तथा द्वितीय स्थान प्राप्त कृति को ब्र० पूरणचन्द रिद्धिलता लुहाड़िया साहित्य पुरस्कार रुपया ५००१/- एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा। ३१ दिसम्बर २००० के पश्चात् प्रकाशित पुस्तकें ही इसमें सम्मिलित की जा सकती हैं।
वर्ष २००३ का महावीर पुरस्कार डॉ० प्रद्युम्न कुमार जैन, उत्तरांचल को उनकी कृति जैन एण्ड हिन्दू लॉजिक : ए कम्पैरेटिव स्टडी तथा ब्र० पूरणचन्द रिद्धिलता लुहाड़िया साहित्य पुरस्कार डॉ० जिनेन्द्र जैन, कटनी को उनकी कृति जैन काव्यों का दार्शनिक मूल्यांकन पर दिनांक ६ अप्रैल २००४ को श्री महावीरजी में महावीर जयन्ती के वार्षिक मेले के अवसर पर प्रदान किया गया।
नियमावली तथा आवेदन पत्र का प्रारूप प्राप्त करने के लिए संस्थान कार्यालय, 'दिगम्बर जैन नसियाँ भट्टारकजी, सवाई रामसिंह रोड, जयपुर से पत्र व्यवहार करें।
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