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श्वेत पासादोवाळु नगरवासी लोकोना यश रूप प्रासाद शिखरनी जेम हमेशा अत्यंत मनोहर.....विविध देशोथी आवेला वेपारीओनी साथे, ते नगरवासी, वणिककलामां निपुण एवा वणिक लोको वडे निरंतर कराता व्यापार वडे जाहोजलाल (शोभती) अनेक दुकानोवाळू, घणा मूल्यवाळा सेकडो करियाणाथी पूराइ गयेला अंत भागवाळु......ऊंचा मगरना तोरणोवाळी, पवनथी उडी रहेली श्वेत ध्वज पताकाओवाळा मंदिरोथी शोभतो सुंदर प्रदेश जेमां छे तेवू......
तथा विकसित पद्मखंडना समूहथी शोभित अनेक विशाळ सरोवरवाळू, सोपान श्रेणि वड़े सहेलाथी नीचे उतरी शाकाय एवी हजारो वावडीवाळु......
श्रेष्ठ त्रिक-चतुष्क मोटा बगीचा, उद्यान तथा नदी आदि बड़े स्थाने स्थाने देवोना पण चित्तने हरनार (आकर्षण करनाल)......कलाकुशल, अन्य नगरोथी श्रेष्ठ. नगरना गुणोथी युक्त, अने देवोनी नगरी अमरावती जेवं हस्तिनापुर नामर्नु नगर हतुं ! हिन्दी अनुवाद :- उस कुरुक्षेत्र में दुश्मनों को भय उत्पन्न हो ऐसे विशाल किलेवाला, मनोहर, सुंदर, मगर के आकार वाले तोरण तथा गोपुर (नगर) के द्वारों से युक्त....अत्यंत हरियाले उपवनों से शोभित, प्रांगण और गवाक्षों से युक्त......श्रेष्ठ चित्रों से मनोहर, विविध भूमि से अलंकृत तथा बर्फ जैसे श्वेत प्रासाद सहित नगरवासी लोगों के यश तुल्य प्रासाद शिखर की तरह प्रतिदिन अत्यंत मनोहर......विविध देशों से आये हुए व्यापारियों के साथ में (वे नगरवासी) वणिक्कला में कुशल ऐसे वणिक्लोगों के साथ व्यापार करने से समृद्ध अनेक दुकानवालों, अति मूल्यवान् किराणा से भरे हुए भूगर्भवाला, ऊँचे मगर के तोरणवाली, पवन से हिलती श्वेत ध्वज पताकाओं से युक्त मंदिरों से सुशोभित सुंदर प्रदेश जहाँ है.........
तथा विकसित पद्मखण्ड के समूह से मनोहर, अनेक विशाल सरोवरवाला, सोपान श्रेणी से सरलता से नीचे उतर सके ऐसी हजार वापीवाला......देवों के चित्त को भी हरानेवाला, कला कुशल, अन्य नगर से श्रेष्ठ, नगर के गुणों से युक्त और देवों की नगरी अमरावती सदृश हस्तिनापुर नाम का नगर था। गाहा:
हस्तिनापुर नगरवासीन वर्णन जत्थ य निवसइ लोओ पियंवओ धम्म-करण-तल्लिच्छो ।
दक्खिन-चाय-भोगेहिं संगओ तह कला-कुसलो ।।५।। छाया:
यत्र च निवसति लोकः प्रियंवदः धर्मकरण-तल्लिप्सः ।
दाक्षिण्य-त्याग-भोगैः सङ्गतस्तथा कला-कुशलः ॥६५॥ अर्थ:-ते हस्तिनापुर नगरमां प्रिय बोलनार,धर्म करवानी इच्छावाळा, दाक्षिण्य, व्याग अने भोगवाळा तथा कलाओमा कुशल लोको रहेता हता..... हिन्दी अनुवाद :- उस हस्तिनापुर नगर में मधुरभाषी, धर्म करने के इच्छुक, दाक्षिण्य, त्याग और भोगरसिक तथा कलाओं में कुशल लोग रहते थे।
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