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जैन जगत् : १७९
श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार एवं सराक पुरस्कार २००३ की घोषणा
सराकोद्धारक संत, उपाध्याय श्री ज्ञानसागरजी महाराज की प्रेरणा से स्थापित श्रुत संवर्द्धन संस्थान, मेरठ द्वारा वर्ष २००२ तक ३१ विद्वानों का जैन विद्या के विभिन्न क्षेत्रों में दिये गये उत्कृष्ट योगदान हेतु सम्मान किया जा चुका है। श्रुत संवर्द्धन पुरस्कारों के अन्तर्गत प्रत्येक पुरस्कार में रु० ३१,०००/- की सम्मान राशि एवं सराक पुरस्कार हेतु रु० २५,०००/- की राशि, शाल, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र प्रदान कर चयनित समाज सेवी का सम्मान किया जाता है। श्रुत संवर्द्धन संस्थान द्वारा वर्ष २००३ हेतु निम्नवत् पुरस्कारों की घोषणा की गई है - १. आचार्य शांतिसागर (छाणी) स्मृति श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार - २००३
(आगामिक ज्ञान के संरक्षण हेतु)
डा० शीतल चन्द्र जैन, ८१/९४, नीलगिरि मार्ग, मानसरोवर, जयपुर २. आचार्य सूर्यसागर स्मृति श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार - २००३
(जिनवाणी की प्रभावना हेतु)
श्री नीरज जैन, 'शांति सदन', सुषमा प्रेस, सतना ३. आचार्य सुमतिसागर स्मृति श्रुत संवर्द्धन पुरस्कर - २००३
(जैन पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु) श्री शैलेष डाह्याभाई कापड़िया, गांधी चौक, सूरत आचार्य सुमतिसागर स्मृति श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार-२००३ (जैन विद्याओं के पारम्पारिक अध्ययन/अनुसंधान के क्षेत्र में समग्र योगदान हेतु) डा० रमेश चन्द्र जैन, जैन मंदिर के पास, बिजनौर मुनि वर्द्धमानसागर स्मृति श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार-२००३ (जैन धर्म/दर्शन में मौलिक, शोध हेतु) प्रो० एल० सी० जैन, ५५४, सर्राफा, जबलपुर सराक पुरस्कार-२००३ (सराक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु) जैनम् फाउन्डेशन, सी-२/३०३, यमुना विहार, दिल्ली पार्श्वनाथ विद्यापीठ की ओर से उक्त विद्वानों को हार्दिक बधाई कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुरस्कार समर्पण समारोह
एवं जैन विद्या संगोष्ठी सम्पन्न इन्दौर २ अप्रैल : कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ इन्दौर द्वारा प्रवर्तित कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुरस्कार का समर्पण समारोह आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के पावन सानिध्य में ३१ मार्च
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