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साहित्य सत्कार : १९३
विनयबोधिकण भाग - १ श्री विनय मुनि जी द्वारा दिए गए प्रवचनो में से प्रश्नों का संग्रह है। जो भक्तगण चातुर्मास के पावन दिनों में मुनिश्री के सानिध्य का लाभ नहीं ले पाए उनके लिए यह उपयोगी है। मुनि श्री ने अनेक प्रश्नों का बड़ा ही सहज एवं सरल शब्दों में समाधान किया है जो नित्य हमारे मन में उठते रहते हैं और उनका सही उत्तर नहीं मिल पाता। यदि भक्त जन इस पुस्तक को पढ़कर मनन करें तो वे अवश्य ही लाभान्वित होंगे। यह पत्रिका घर-घर में रखने योग्य है।
- मनोजकुमार तिवारी (शोध छात्र) विजययशोदेवसूरि, प्रका० - श्री सिद्धक्षेत्र जैन साहित्य मंदिर आ०क० पेढ़ी के सामने, तलेटी रोड, जिला भावनगर, पालीताना ३६४२७०, संस्करण - प्रथम, आकार - डिमाई, पृष्ठ - २७२, मूल्य - २१/
प्रस्तुत पुस्तक आचार्य विजययशोदेवसूरि के जीवन-दर्शन पर आधारित है। इसमें उनके जीवन से सम्बन्धित प्रत्येक क्षेत्र का समावेश करने का प्रयास किया गया है। इसमें यशोदेवसूरि जी की जीवनी, उनके साहित्य रचनाओं का संकलन; मुनिश्री से सम्बन्धित अनेक काव्य रचनाएं एवं समय-समय पर लिए गए छाया चित्रों का संकलन है। यह मुनिश्री के गौरव गाथा का प्रथम भाग है। अभी दो भाग
और प्रकाशित होना शेष है। आशा है इस प्रथम भाग से पाठक मुनिश्री के बारे . में अनेक जानकारियों को प्राप्त कर लाभान्वित होंगे।
- मनोजकुमार तिवारी (शोध छात्र) जीवन दर्पण (महापुरुषों की वाणी), संकलन - केवलचन्द जैन, प्रकाशकसंघवी लालचंद जीवराज एण्ड कम्पनी, डी०एल० लेन, चिकपेट, बैंगलोर - ५३; प्राप्ति स्थान - शा० लालचन्द मदनराज एण्ड कम्पनी, ७/२८, एम०वी० लेन, चिकपेट, बैंगलोर - ५३, आकार - डिमाई, पृष्ठ - २६३।
श्री केवलचन्द जैन द्वारा संकलित जीवनदर्पण (महापुरुषों की वाणी) गद्य एवं पद्य का अनुठा संग्रह है। सभी कहानियां शिक्षाप्रद हैं। पुस्तक किसी एक सम्प्रदाय विशेष का प्रतिनिधित्व न करते हुए सबके लिए उपयोगी है। दृष्टांतों के माध्यम से कहानियां अत्यन्त रोचक हो गई हैं। सभी कहानियां एवं कविताएं शिक्षाप्रद एवं मनन करने योग्य हैं। यथास्थान शिक्षाप्रद सूक्तियाँ भी हैं। आशा है पाठकगण इसे पढ़कर अवश्य लाभान्वित होंगे।
- मनोजकुमार तिवारी (शोध छात्र)
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