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विद्यापीठ के प्रांगण में : १७५
विवरण प्रस्तुत किया। अन्त में ४५ प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। ज्ञातव्य है कि आगन्तुक सभी प्रशिक्षुओं के भोजन एवं आवास की सुन्दर व्यवस्था पार्श्वनाथ विद्यापीठ में की गयी थी।
इस अवसर पर प्रतिभागियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ० विजयकुमार ने किया।
पार्श्वनाथ विद्यापीठ में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का आयोजन - पार्श्वनाथ विद्यापीठ ने "श्रमण परम्परा - जैन विद्या अध्ययन' विषय पर २१ दिवसीय पुनश्चर्या पाठ्यक्रम आयोजन किया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित इस पाठ्यक्रम की तिथि २० अक्टूबर २००४ से ५ नवम्बर २००४ निर्धारित की गयी है।
विश्वविद्यालय अथवा मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों के वे शिक्षक, जिन्होंने एक ओरियण्टेशन कोर्स पूर्ण कर लिया है अथवा अपनी नियमित सेवा के दो वर्ष पूर्ण कर लिये हैं, इस पाठ्यक्रम में सम्मिलित होने के पात्र होंगे। इतिहास (प्राचीन इतिहास एवं कला इतिहास भी), दर्शनशास्त्र, संस्कृत, पालि एवं बौद्ध अध्ययन तथा प्राकृत एवं जैन विद्या अध्ययन के शिक्षक इस पुनश्चर्या पाठ्यक्रम से लाभ उठा सकते हैं।
पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में सम्मिलित होने वाले अभ्यर्थियों का पंजीकरण शुल्क ५००/- रुपये है। भोजन और आवास की व्यवस्था पार्श्वनाथ विद्यापीठ में होगी। इच्छुक व्यक्ति निम्न पते पर सम्पर्क करें -
निदेशक पार्श्वनाथ विद्यापीठ आई०टी०आई० रोड, करौंदी पो०- काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी- २२१ ००५
ज्ञातव्य है कि विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों के अध्यापकों की पदोन्नति के लिये पुनश्चर्या कार्यक्रमों में सम्मिलित होना अनिवार्य है।
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