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लक्ष्मीवल्लभ वा० श्रीसोम विद्याकीर्ति मतिकीर्ति
तिलकप्रमोद (वि०सं० १७२५ में रत्न
(वि०सं० १६६९ में नरवर्म. (चित्तललितांगरास, अघट. हासोपाई के रचनाकार)
चरित वि०सं० १६७२ में कुमारचौपाई वि०सं० १६७४, धर्मबुद्धिमंत्रिचौपाई आदि के धर्मबुद्धिरास वि०सं० में १६९७ रचनाकार)
आदि के रचनाकार) वा० शांतिहर्ष सुमतिसिंधुर सुमतिसागर भाग्यविशाल (वि०सं० १७वीं शती में (वि०सं० १६१६ में
गुणावलीचौपाई के गौड़ीपार्श्वस्तवन के कर्ता)
प्रतिलिपिकार) शांतिलाभ सौभाग्यवर्धन लाभवर्धन जिनहर्ष कीर्तिविलास कनककुमार
(अनेक ग्रन्थों के रचनाकार) (विभिन्न स्तवनों (वि० सं० १७१३ में जिनचन्द्रसूरि से दीक्षित) सखवर्धन के रचनाकार)
कनकविलास (वि० सं० १६३५ में देवराजवच्छराजधौपाई के कर्ता) (वि०सं० १७३९ में जिनचन्द्रसूरि से दीक्षित) दयासिंह (वि०सं० १७५५ में जिनचन्द्रसूरि से दीक्षित) रामविजय (उपा० क्षमाकल्याण के विद्यागुरु)
वाचक पुण्यशीलगणि वा० समयसुन्दरगणि वा०, शिवचन्द्रगणि तिलकधीर (त्रिलोकचंद्र) सुमतिपद्म (यति श्यामलाल जी) विजयचन्द्र (जिनविजयेन्द्रसूरि) वि० सं० २०२० में स्वर्गस्थ
श्रमण, वर्ष ५५, अंक १-६/जनवरी-जून २००४
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