Book Title: Shraman Atit ke Zarokhe me
Author(s): Shivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० के० भुजबलि शास्त्री मुनि दुलहराज जी
वर्ष
अंक ३ ३
ई० सन् १९६५ १९६५
६१ पृष्ठ २०-११
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डॉ० मोहनलाल मेहता श्री माँ, अरविन्दाश्रम पं० सुखलाल संघवी डॉ० देवेन्द्र कुमार पं० दलसुख मालवणिया श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल
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लेख डणायक रविकीर्ति उपदेश विधि कर्मप्राभृत अथवा षटखंडागम - एक परिचय (क्रमश:) त्याग का मनोविज्ञान पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान की कार्यदिशा जैनदर्शन और भक्ति-एक थीसिस । भगवान् बुद्ध और भगवान् महावीर
क्या जैनधर्म जीवित रह सकता है ? - रहस्यवादी जैन अपभ्रंशकाव्य का
हिन्दी साहित्य पर प्रभाव ६ कर्मप्राभृत अथवा षटखंडागम
एक परिचय (क्रमश:) रायपसेणियउपांग और उसका रचनाकाल की समीक्षा श्रमण संस्कृति का हार्द रहस्यवादी जैन अपभ्रंशकाव्य का हिन्दी साहित्य पर प्रभाव (क्रमश:)
१९६५ १९६५ १९६५ १९६५ १९६५ १९६५
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२३-२८ २९-३३ ३४-३६ ३-८ ९-२१ २२-२५
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श्री प्रेमचन्द जैन शास्त्री
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२६-३१
डॉ० मोहनलाल मेहता
१९६५
३२-३७
मुनि कल्याणविजय श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय'
१९६५३८ । १९६५ २-११
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श्री प्रेमचन्द शास्त्री
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१९६५
१२-१७