Book Title: Shraman Atit ke Zarokhe me
Author(s): Shivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री बशिष्ठ नारायण सिन्हा श्री नन्दलाल मारु श्री लक्ष्मीनारायण श्री कस्तूरमल बांठिया पं० बेचरदास दोशी डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव
ई० सन् १९६६ १९६६ १९६७ ।
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वर्ष अंक १८ १-२
१-२ १८३ १८ १८३ १८ ३
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पृष्ठ । ७३-७७ ७८-७९ ३-९ १०-२३ २९-३१ ३२-३६
१९६७ १९६७ १९६७
लेख
अहिंसा : एक विश्लेषण __ क्या लोकाशाह विद्वान् नहीं थे ?
जैनधर्म और नारी श्रावक किसे कहा जाय
आर्ष प्राकृत का व्याकरण ए विश्व का निर्माण तत्त्व : द्रव्य
“कुवलयमाला" मध्ययुग के आदिकाल की एक जैन कथा विद्याधर : एक मानव जाति आचार्य हेमचन्द्र के पट्टधर आचार्य रामचन्द्र - के अनुपलब्ध नाटकों की खोज अत्यावश्यक जैन सिद्धान्त और समाजव्यापी प्रयोग जैन संस्कृति का विस्तार पउमचरियं में अनार्य जातियां प्रज्ञाचक्षु राजकवि श्रीपाल की एक अज्ञात रचना-शतार्थी आत्म निरीक्षण
श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० के० ऋषभ चंद्र
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१९६७
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२-१७ १८-२०
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श्री अगरचन्द नाहटा मुनि नेमिचन्द्र श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री डॉ० के० ऋषभ चन्द्र
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१९६७ १९६७ ।। १९६७ १९६७
२१-२५ २६-३० ३१-३७ २-५
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श्री अगरचन्द नाहटा श्री पारसमल 'प्रसून'
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६-८ ९-१०