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Jain Education International
अंक १२
ई० सन् १९५६
३०३ पृष्ठ ३१-३५ ९-१० ११-१२ ११-१६
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख ईमानदारी के वातावरण एक दिव्य विभूति मालवीय जी जैन साहित्य का नवीन अनुशीलन जैन साहित्य के इतिहास-निर्माण के सूत्र जैन साहित्य निर्माण की नवीन योजना तप के प्रतीक महावीर प्राचीन मथुरा में जैन धर्म का वैभव .. बत्तीस प्रकार की नाट्यविधि मातृभाषा और उसका गौरव वैशाली और दीर्घप्रज्ञमहावीर
विश्व मानव महामना मालवीय ? 'सत्यं स्वर्गस्य सोपानम्'
सरस्वती का मंदिर साध्वी रत्न श्री विचक्षण श्री जी प्रज्ञा पुरुष विजय कुमार अनेकान्तवाद और उसकी व्यवहारिकता जैन आगमों में धर्म-अधर्म (द्रव्य) : एक ऐतिहासिक विवेचन
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