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ई० सन् १९८१ १९७६
३४१ पृष्ठ । १८-२१ . २५-३०
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख महावीर संदेश-दार्शनिक दृष्टि जैन दर्शन में बंध और मुक्ति हरिवल्लभ भयाणी दशरूपकावलोक में उद्धृत अपभ्रंश उदाहरण हस्तिमल जी 'साधक' अहिंसा की प्रतिष्ठा का मार्ग जैन समाज में फोटो प्रचार ब्रह्मचर्य की गुप्ति हीरा कुमारी जैनदर्शन
३ हीराचन्द्र सूरि 'विद्यालंकार' पर्युषण की सही आराधना हीरालाल जैन आचार्यसम्राट पूज्य श्री आत्माराम जी महाराज : एक अंशुमाली हीरालाल रसिकलाल कापडिया संवेगरंगशाला-एक स्पष्टीकरण हुकुमचन्द्र संगवे अजीवद्रव्य
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