Book Title: Shraman Atit ke Zarokhe me
Author(s): Shivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 482
________________ Jain Education International लेख ई० सन् १९७२ १९८३ १९७४ ३४ ४६९ पृष्ठ । ७-११ १३-१६ २८-३४ २७-२८ १-४ ६९-७५ ३-८ ८-१६ १९८४ १९६ २५ श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक वर्ष अंक वर्ण विचार श्री रमेशचंद्र जैन २४ १ वर्तमान अशान्ति का एकमात्र समाधान अहिंसा श्री कस्तूरीनाथ गोस्वामी वर्तमान युग के सन्दर्भ में भगवान् महावीर के उपदेश श्री कन्हैयालाल सरावगी वर्तमान सन्दर्भ और भगवान् महावीर की अहिंसा डॉ० आदित्य प्रचण्डिया ३५६ वर्धमान : चिन्तन खण्ड श्री नरेशचन्द्र मिश्र वर्धमान से महावीर कैसे बने ? श्री जिनविजयसेनसूरि १५ ५-६ वरांङ्गचरित में अठारह श्रेणियों के प्रधान : एक विश्लेषण डॉ० रमेशचन्द्र जैन २६ वराङ्गचरित में राजनीति वसुराजा मुनि महेन्द्रकुमार ३५ वादिराज सूरि : व्यक्तित्व एवं कृतित्व श्री उदयचन्द 'प्रभाकर' विद्वत् रत्नमाला का एक अमूल्य रत्न विद्यानन्द मुनि ३२ विद्याधर : एक मानव जाति डॉ० के० ऋषभचन्द्र १८४ विद्यामूर्ति पं० सुखलाल जी पं० दलसुख मालवणिया विद्यावारिधि एवं प्रज्ञापुत्र मुनिश्री नगराज जी ३२ ५ विमलसूरि के पउमचरिउ का भौगोलिक अध्ययन डॉ० कामताप्रसाद मिश्र __३२ १२ विवाह और कन्या का अधिकार सुश्री प्रेमकुमारी दिवाकर २ १२ विवाह-भारतीयेत्तर परम्परायें डॉ० बशिष्ठनारायण सिन्हा For Private & Personal Use Only २८ ३-८ १९६८ १९६४ १९७५ १९७४ १९८४ १९७७ १९८१ १९६७ १९५२ १९८१ १९८१ १९५१ १९६५ ५३ ow १८-२० १५-१८ m www.jainelibrary.org १२-२० २५-३० २४-३२

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