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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष २
अंक १ १०-१२ ४
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लेख न्याय सम्पन्न विभव पंचकारण समवाय परमतत्त्व : आचार्य विनोबा भावे की दृष्टि में परमाणु परिग्रह मीमांसा पुद्गल पुद्गल : एक विवेचन पुनर्जन्म सिद्धान्त की व्यापकता प्रातिभज्ञानात्मक चिन्तन : सापेक्ष चिन्तन प्रत्येक आत्मा परमात्मा है। प्रमाणवाद : एक पर्यवेक्षण - क्रमश:
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डॉ० रतनचन्द्र जैन डॉ० नरेन्द्र बहादुर डॉ० मोहनलाल मेहता श्री रघुवीरशरण दिवाकर डॉ० मोहनलाल मेहता मुनि बुद्धमल्ल जी. श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री पाण्डेय रामदास 'गंभीर' पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
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ई० सन् १९५० १९९७ १९८५ १९६९ १९५१ १९६९ १९७४ १९७३ १९८२ १९६३ १९७४ १९७४ १९७४ १९९७ १९७२ १९७३ १९७२
३६१ पृष्ठ । ९-१२ ७३-८० २२-२६ ५-७ ९-१४ २०-२२ १४-१८ ३-१० ५-१७ ३१-३२ ३-१३ ७-१८ १३-२२ १३३-१४० ३-१५ ३-११ ११-१४
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प्रमाण-लक्षण-निरूपण में प्रमाण मीमांसा का अवदान प्रमाण स्वरूप विमर्श - क्रमशः ।
डॉ० सागरमल जैन डॉ० सुदर्शनलाल जैन
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Wala
प्रमेय : एक अनुचिन्तन
डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव