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वर्ष
अंक
ई० सन् १९७७
पृष्ठ ३-८
७-९
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक संस्कृत साहित्य में अभ्युदय नामान्त जैन काव्य श्री जयकुमार जैन सन्दर्भ एवं भाषायी दृष्टि से आचारांग के उपोद्धात में प्रयुक्त प्रथम वाक्य के पाठ की प्राचीनता पर कुछ विचार
डॉ० के० आर० चन्द्र सप्तक्षेत्रिरासु
डॉ० सनत्कुमार रंगाटिया सप्तसन्धानमहाकाव्य में ज्योतिष
श्री श्रेयांसकुमार जैन समयसार
श्री मिश्रीलाल जैन समणसुत्ते समयसार : आचार-मीमांसा
डॉ० दयानन्द भार्गव समयसार सप्तदशांगी टीका : एक साहित्यिक-मूल्यांकन डॉ० नेमिचन्द जैन समराइच्चकहा का अविकलगुर्जरानुवाद । श्री कस्तूरमल बांठिया समराइच्चकहा की संक्षिप्त कथावस्तु और उसकासांस्कृतिक महत्त्व
डॉ० झिनकू यादव समवायांगसूत्र में विसंगति
श्री नंदलाल मारु सर्वांगसुन्दरी-कथानक
डॉ० के० आर० चन्द्र सात लाख श्लोक परिमित संस्कृत साहित्य के निर्माता जैनाचार्य विजयलावण्यसूरि
श्री अगरचन्द नाहटा साधुवन्दना के रचयिता सावयपण्णत्ति : एक तुलनात्मक अध्ययन -क्रमश : पं० बालचंद सिद्धान्तशास्त्री
५२-५९ २३-२८ १७-२१ ४२-५९ २७-४१ ३-११.
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३-८ ६-१७
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३५-४२
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३२-३४ १६-२१
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१९-२३ २९-३२ ५-११
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