Book Title: Shraman Atit ke Zarokhe me
Author(s): Shivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 435
________________ Jain Education International श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक वर्ष श्री भूरचन्द जैन ____३२ अंक ८ ई० सन् १९८१ पृष्ठ २६-२८ ४२२ लेख उपरियाली का विख्यात जैन तीर्थ ऐतिहासिक अध्ययन के जैन स्रोत और उनकी प्रामाणिकता: एक अध्ययन ऐतिहासिक जैन तीर्थ नांदिया ओसवंश-स्थापना के समय संबन्धी महत्त्वपूर्ण - डॉ० असीमकुमार मिश्र श्री भूरचन्द जैन ४६ १०-१२ ४ १९९५ १९७६ ४४-५१ २७-२९ उल्लेख For Private & Personal Use Only श्री अगरचंद नाहटा श्री भंवरलाल नाहटा श्री गणेशप्रसाद जैन डॉ० मोहनलाल मेहता श्री शिवकुमार नामदेव ओसवाल और पापित्य सम्बन्धों पर टिप्पणी ऋषभपुत्र भरत और भारत कर्म की मर्यादा कर्णाटक में जैन शिल्पकला का विकास कलचुरि-कला में जैन शासन देवियों की मूर्तियाँ कलचुरिकालीन जैन शिल्प-संपदा कल्पप्रदीप में उल्लिखित 'खेड़ा' गुजरात का नही राजस्थान का है कल्पप्रदीप में उल्लिखित भगवान् महावीर के कतिपय तीर्थक्षेत्र कारीतलाई की जैन द्विमूर्तिका प्रतिमाएं १९५२ १९८९ १९७० १९७१ १९७६ . १९७४ १९७८ २७-३३ ८-१३ २४-३२ ३-५ १४-१८ २४-२६ २३-३२ श्री भंवरलाल नाहटा १९८९ २५-२८ www.jainelibrary.org डॉ० शिवप्रसाद श्री शिवकुमार नामदेव २६ ११ १९८९ १९७५ २०-२९ १५-१९

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