Book Title: Shraman Atit ke Zarokhe me
Author(s): Shivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
___ वर्ष श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल १६ श्री कस्तूरमल बांठिया
ई० सन् १९६५ १९६०
४४५ पृष्ठ । २२-२५ १७-२१
लेख
क्या जैनधर्म जीवित रह सकता है? __ क्या थे? क्या हैं? क्या होना है ?
क्या भगवान् महावीर के विचारों से विश्वशांति-संभव है? क्या महावीर सामाजिक पुरुष थे ?
क्या मैं जैन हूँ ? ए क्या यही शिक्षा है?
क्या राम कथा का वर्तमान रूप कल्पित है
डॉ० (कु०) मंजुला मेहता डॉ० मोहनलाल मेहता प्रो० दलसुख मालवणिया श्री राजाराम जैन श्री धन्यकुमार राजेश
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२१७ २१ २४ ३५ ३३ १२
E xa o war ang vooroo wa w ar
क्या स्त्रियाँ तीर्थंकर के सामने बैठती नहीं ? क्या हम अपराधी नहीं कानों सुनी सो झूठ सब क्रांतिकारी महावीर
श्री नंदलाल मारू श्री जिनेन्द्र कुमार डॉ० रतनकुमार जैन पं० बेचरदास दोशी श्री रत्नचंद जैन शास्त्री डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन श्री समीर मुनि मुनिश्री चन्द्रप्रभसागर
१९८० १९६० १९५२ १९५२ १९७० । १९७० १९७३ १९८३ १९८१ १९६१ १९६४ १९६५ १९६४ १९८३
१७-२२ १५-१६ ९-१२ ३०-३२ १०-१९ १८-२७ २७-३० ७-८ १२-१५ ४१-४४ १३-१६ ९-११ १८-२१ १-११
क्रांतिदर्शी महावीर क्रोध और क्षमा क्षमा-वाणी
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