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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
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ई० सन् १९६६ १९६६ १९६६
पृष्ठ २३-२८ १४-२० १३-१८
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जैन अभिलेखों की भाषाओं का स्वरूप एवं - विविधताएँ जैन आगम और विज्ञान जैन आगमों का मन्थन -क्रमश:
श्रीनारायण दुबे श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० इन्द्र
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१९९१ १९६१ १९५३ १९५३ १९५० १९९७ १९८४ १९५६
८९-९२ ३६-४० ३५-३७ २९-३० ९-१४ १-२८
श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० सागरमल जैन श्री सौभाग्यमल जैन श्री मोहनलाल मेहता
१०-१२
९-१२
जैन आगमों का महत्त्व और कर्त्तव्य जैन आगमों की मूल भाषा : अर्धमागधी या शौरसेनी जैन आगमों में विद्वत् गोष्ठी जैन आगमों में नियुक्तियाँ जैन आगमों में हुआ भाषिक स्वरूप परिवर्तन - एक विमर्श जैन आलंकारिकों की रसविषयक मन्यताएँ जैन कला विषयक साहित्य जैन कन्नड़ वाङ्गमय
डॉ० सागरमल जैन डॉ० कमलेशकुमार जैन डॉ० ज्योतिप्रसाद जैन श्री के० भुजबली शास्त्री
२९६ २९ ३ ४ ७-८
१९९४ १९७८ १९७८ १९५३
२३९-२५३ १४-२४ १८-२१ ४७-५१
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