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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक प्राचीन जैन राजस्थानी गद्य साहित्य
श्री अगरचंद नाहटा प्राचीन जैन साहित्य के प्रारम्भिक निष्ठासूत्र पं० दलसुखभाई मालवणिया प्राचीन पांडुलिपियों का संपादन : कुछ प्रश्न और हल डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन प्राचीन भारतीय वाङ्मय में पार्श्वचरित । डॉ० जयकुमार जैन प्राणप्रिय काव्य का रचनाकाल, श्लोक संख्या - और सम्प्रदाय
श्री अगरचंद नाहटा बंगला आदि भाषाओं के सम्बन्धवाची प्रत्यय पं० कपिलदेव गिरि ब्राह्मी लिपि और ऋषभनाथ
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन बुन्देलखण्डी भाषा में प्राकृत के देशीशब्द डॉ० कोमलचंद जैन बीसवीं शती का जैन इतिहास
श्री अगरचन्द नाहटा भक्तामर की एक और सचित्रप्रति भक्तामरस्त्रोत की सचित्रप्रतियाँ भक्तामरस्त्रोत के श्लोकों की संख्या ४४ या ४८ । भगवान् महावीर की २५ वी निवार्णशती कैसे-मनायें ? श्री नन्दलाल मारु भगवान् महावीर की मंगल विरासत
पं० सुखलाल संघवी भट्टअकलंककृत लघीयस्त्रय : एक दार्शनिक-अध्ययन हेमन्तकुमार जैन भट्टारक सकलकीर्ति और उनकी सद्भाषितावली डॉ० रमेशचन्द्र जैन
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२७-२९ १८-२९ २५-२८ २०-२३ २०-२४ २१-२४ १३-१९ २७-३१ ३२-३६ १-८ ८३-९० २९-३४
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