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लेख आचारांग का परिचय आचारांग के कुछ महत्त्वपूर्ण शब्द आचारांगसूत्र -क्रमश:
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक मुनिश्री कन्हैयालाल जी 'कमल' साध्वी श्री कनकप्रभा पं० दलसुख मालवणिया
३९३ पृष्ठ । २७-३५ ६१-६४ ४-७ ७-९ १०-२ २३-२५ ३-६
३-६
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ई० सन् १९६१ १९६६ १९५७ १९५७ १९५७ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९८७ १९६६ १९६६ १९६७
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आचारांगसूत्र- एक विश्लेषण आर्षप्राकृत का व्याकरण -क्रमश:
डॉ० सागरमल जैन पं० बेचरदास दोशी
३४-३७ ९-१५ २६-२९ २५-२७ १-१९ १९-२६ १२-१४ २९-३१ ३-६
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