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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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अंक
ई० सन् १९५७ १९८२
३०५ पृष्ठ १५-१६ १७-२७
२३-२४
लेख क्षमापना का आदर्श
भारतीय दर्शनों का समन्वयवादी स्थितप्रज्ञ पुरुष - मुनि महाप्रभ विजय जी महाराज
मानव कुछ तो विचार कर विजयेन्द्र 'दर्शी मील का पत्थर आचार्य विजयेन्द्रसूरि महावीर विहार मीमांसा विजयराज सामुद्रिक विज्ञान
१९६४
२४-२७
१९८६
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१४-१६ २७-२९
१९५५ १९५५
३८-४०
१९६१
२४-२६
विजया जैन महावीर की साधना और सिद्धान्त विद्याभिक्षु अद्भुत दान अपूर्वरक्षा विद्यानन्द मुनि विद्वत् रत्नमाला का एक अमूल्य रत्न
१९६५ १९६६
१५-१६ १२-१३
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१९८१
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